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Showing posts from November, 2021

काले कृषि कानून

"जमूरे! सुना है अपने मोदी जी ने तीनों कृषि कानून वापस ले लिए ?" "ठीक ही सुना है उस्ताद ले तो लिए हैं।" "लेकिन उसके तो बड़े फायदे गिनाए जा रहे थे। फिर ऐसा क्या हो गया कि उसे वापस लेना पड़ा।" "हुआ कुछ नहीं उस्ताद बस मोदी जी को कृषि कानून पास करने से ज्यादा फायदा अपने विपक्षियों को बेरोजगार रखने में नजर आया तो उन्होंने ऐसा कर दिया।" "तो अब विपक्षी क्या करेंगे?" "कुछ और नहीं करेंगे उस्ताद बस आंदोलन को जारी रखेंगे, जहाँ वे पहले सरकार को तानाशाह कहकर कोस रहे थे वहीं अब सरकार के कमजोर होने का सियापा करेंगे।" #चित्रगुप्त 

शिकायत

गांधी वादियों की शिकायत- गांधी जी की बुराई वही लोग करते हैं जो गांधी जी को समझ नहीं पाए। गोडसे वादियों की शिकायत- सावरकर की बुराई वही लोग करते हैं जो सावरकर को समझ नहीं पाए। अलाने वादियों की शिकायत- अलाने की बुराई वही लोग करते हैं जो अलाने को समझ नहीं पाए। फलाने वादियों की शिकायत- फलाने की बुराई वही लोग करते हैं जो फलाने को समझ नहीं पाए। इनकी बातें सुनकर पड़ोस की चाची चिल्ला रही हैं- "मेरे साथ रहकर इन्होंने जिंदगी गुजार दी और ये मुझे ही न समझ पाए। तो इतने बड़े-बड़े लोगों को क्या घंटा समझेंगे??" #चित्रगुप्त

ग़ज़ल

कहता तो हूँ उससे अब छोड़ो जाऊँ लेकिन उसकी लत छोड़े तब तो जाऊँ माँ कहती है सुबह हो गई उठ जाओ मन कहता है मुँह ढककर के सो जाऊँ दुनिया कहती है सीखो दुनिया दारी मेरा मन है ख्वाबों में ही खो जाऊँ। कौन समंदर होने को लालायित है लेकिन कतरा दरिया कुछ तो हो जाऊँ खर-पतवारों में भी कुछ तो होगा ही लाओ इनमें कुछ फूलों को बो जाऊँ #चित्रगुप्त

गली गली के नारद

गली-गली के नारद *************** सुबह सोकर उठा था और अंगड़ाई लेते हुए आँख मिलमिलाने के वास्ते अपनी हथेलियों को तैयार कर ही रहा था कि वे आ गये।  "सुना है तुम्हारी सरकारी नौकरी लग गई?" उन्होंने आते ही पूछा।  मैंने हां में सिर हिलाया ही था कि उन्होंने दूसरा सवाल दाग दिया।  "कितना घूस दिए थे?"  ये वाला सवाल असहज करने वाला था। इस देश का आम आदमी गलत कर तो सकता है लेकिन गलत कहना उसे कतई गवारा नहीं। सबूत के तौर पर आप उम्र भर ब्रम्हचर्य पर भाषण देने वाले बाबाओं को ले सकते हैं जिनका बुढापा अनर्गल क्रियाओं के जाल में जेलों में कट रहा है।  लेकिन वे आये ही इसलिए थे बंदे को सरकारी मिली है फिर भी उनके जीते जी कोई खुश रहे ये कैसे हो सकता है। मैं अगर उनके इस सवाल से असहज न भी होता तो वे दूसरा पूछ लेते, तीसरा पूछ लेते, चौथा पूछ लेते...। वैसे उनका उत्तर से कोई लेना होता भी नहीं है लेकिन वे सवाल पर सवाल पूछते रहते हैं और चेहरे का तापमान मापते रहते हैं। जब तक सामने वाला उनके सवालों से पूरी तरह परेशान होकर लाल पीला न हो जाए वे मानेंगे नहीं। यहां तरह-तरह के लोग हैं। कुछ लाल, कुछ पीले, कुछ न

रामलाल ने कौआ खाया है

रामलाल ने कौआ खाया है(जनश्रुति) **************************** एक बारात वापस लौट रही थी। जंगल का रास्ता था और समय पर वे जंगल पार नहीं कर पाए। रात हो गई तो वे रास्ता भूल गये। अगली सुबह हुई लेकिन दिन भर भटकने के बाद भी उन्हें कोई गांव न मिला। आखिर भूखे प्यासे वे कबतक रहते। किसी तरह उन्होंने एक नदी ढूढ़कर प्यास तो बुझा ली लेकिन अब समस्या खाने की थी। जंगल में कौओं को छोड़कर और कोई पशु पक्षी भी नहीं दिखाई दे रहे थे।  भूख से बिलबिलाते कुछ युवकों ने कौओं को ही मारकर खाने का निर्णय ले लिया। बारातियों में से ही किसी बीड़ी पीने वाले के पास माचिस थी तो उसने लकड़ियां ढूढ़कर आग लगा दी। रात का समय था तो उन्हें कौओं को पकड़ने में भी ज्यादा परेशानी नहीं हुई।  कौवे पकड़-पकड़ कर आते रहे और लोग उसे भून-भूनकर खाते रहे। उन युवकों की देखादेखी धीरे-धीरे सभी बारातियों ने कौवे भूनकर खा लिए लेकिन उन्ही बारातियों में 'रामलाल' भी था जिसने कहा कि चाहे भूख से तड़पकर मर जाऊँ यह स्वीकार है, लेकिन कौआ नहीं खाऊंगा। रात गुजर गई। दूसरे दिन सौभाग्य से चरवाहों की मदद से उन्हें बाहर निकलने का रास्ता भी मिल गया। लेकिन अब समस्या

रक्षा सौदा घोटाला

रक्षा सौदा घोटाला *************** "जमूरे! हर बार अपने देश के  रक्षा सौदे में कोई न कोई घोटाला क्यों हो जाता है?" "घोटाला नहीं हो जाता उस्ताद ऐसा पश्चिमी देश साजिश के तहत करते हैं। जिसका शिकार विकासशील देश बनते हैं।" "लेकिन इसका फायदा क्या होता है?" "फायदा ये होता है उस्ताद कि इससे विकासशील देशों की सरकारें नए रक्षा सौदे करने में कतराने लगती हैं। जिससे वे अपनी सैन्य ताकत नहीं बढ़ा पाती।" "लेकिन विकसित देश विकासशील देशों को विकासशील ही क्यों रहने देना चाहते हैं?" "ऐसा इसलिए उस्ताद ताकि कुछ गिने चुने देशों की दादागिरी हमेशा कायम रहे और उनके अपने वाणिज्यिक हित सुरक्षित रहें... लेकिन आज आप अंतरराष्ट्रीय सवालों के चक्कर क्यों पड़े हो उस्ताद!" "ओ माई डियर फ्रेंड जमूरे , जब घर-परिवार और अपने आस-पास की हालत बोलने लायक न हो तो आदमी बड़ी-बड़ी बातें करने ही लगता है।" #चित्रगुप्त

राम नाम की ताकत

"जमूरे! वो द्वापर था जब राम नाम के पत्थर तैरा करते थे। लेकिन ये कलियुग है इसमें कुछ नहीं हो सकता...।" "राम नाम की ताकत कांग्रेस से पूछो उस्ताद! जिन्होंने रामसेतु को मिथ कहा था अब उनके ही छोरा छोरी तुलसीदास बने घूम रहे हैं।  राम नाम की ताकत उन कन्हैया कुमार से भी पूछो जो कम्युनिस्टों का नास्तिकपना छोड़कर बिहार के मंदिर मंदिर राम राम जप रहे हैं। राम नाम की ताक़त हर बात का सबूत मांगने वाले उस केजरीवाल से भी पूछना जो अब राम राम कहते नहीं अघाते।  राम नाम की ताकत उस बीजेपी से पूछो जो राम राम कहते-कहते  शून्य से पूर्ण सत्ता तक आ आ गई।"

कलट्टर कैसे बनते हैं

कलट्टर कैसे बनते हैं? ***************** "दस रुपये...दस रुपये, दस रुपये, दस रुपये... भुट्टे लेलो दस रुपये" रेलवे क्रॉसिंग वाला फाटक बंद होने की वजह से बस रुकी तो एक लड़का ऊँची आवाज में चिल्लाते हुए बस में चढ़ा।  "तुम्हारा नाम क्या है बेटा ?" लड़का मेरे बगल में आया तो मैंने सवाल किया। "सरोज कुमार" "लेकिन सरोज नाम तो लड़की का होता है?" "अरे अंकल... अगर सरोज कुमारी होता तब लड़की का होता लेकिन यहाँ तो सरोज कुमार है।" "लेकिन सरोज तो लड़की का है न?" "लड़की का भी है तो क्या है अंकल? लड़कियां आज की डेट में कौन सी कम हैं।" लड़के के जवाब ने मुझे लाजवाब कर दिया। मैंने और बात को बढ़ाने के लिए उससे पूछा- "पढ़ने जाते हो?" "हाँ जाता हूँ, लेकिन आप टाइम मत खराब करो अंकल लेना है तो बोलो नहीं तो आगे बढूँ?" "बात करने के भी पैसे दे दूँगा टेंसन क्यों लेते हो? मिस्टर सरोज कुमार।" "मिस्टर सरोज कुमार..." लड़का जोर से हँसा। "भीख नहीं चाहिए अंकल भगवान ने हाथ पैर दिए हैं कमाकर खा लूँगा। आप जल्दी बोलो क्या बोलना ह

शुभ दीपावली

लाखों के खर्च पर फर्स्ट क्लास हवाई सफर का आनंद लेकर पेट्रोल/डीजल गाड़ियों में बैठ चार मीटर दूर जिम जाकर किसान की पराली पर ज्ञान बांटने वालों दीवाली मुबारक हो। दो कौड़ी के चेहरे पर हजारों का मेकअप पोतकर एक रुपये में एक वाले दीयों को जलाने में फिजूलखर्ची का रोना रोने वालों दीवाली मुबारक हो। दिन भर चरस गांजा सिगरेट फूंककर शाम होते ही बोतल चढ़ाकर फुलझड़ी से होने वाले वायुप्रदूषण पर ज्ञान बांटने वालों दीवाली मुबारक हो। राम को मिथ बताकर तरह तरह के सबूत मांगकर, तुष्टिकरण की राजनीति करके सब कुछ गंवाकर अब सत्ता पाने की लालसा में मंदिर-मंदिर जाकर राम राम चिल्लाने वालों दीवाली मुबारक हो। साल भर की कमाई को दिखावे में उड़ाकर, और कमाने की लालसा में गलाकाटू स्पर्धा चलाकर सारा गूढ़ ज्ञान तीज-त्योहारों पर ही बाटने वालों दीवाली मुबारक हो। मुबारक हो दीवाली उस चुन्नुआ को भी जो सुबह से ही पत्थर पर पत्थर पटककर पटाकी फोड़ रहा है। जिस के लिए वह कल दिन भर रोया है तब कहीं जाकर छटाक भर धान के बदले अपनी अमानत ला पाया है।  मुबारक हो दीवाली उस सरकार को भी जो उपचुनाव में हारते ही डीजल पेट्रोल के घटे दामों वाला धमाका लेकर आ

उत्तरदाययित्व

उत्तरदाययित्व ************ जब मैं चलता हूँ तो अकेला नहीं चलता बल्कि मेरे साथ-साथ चलते हैं मेरे माँ बाप का संस्कार मेरे गाँव, मेरे शहर की इज्जत मेरे जाति मेरे समुदाय की ध्वजाएं मैंने कहाँ पढ़ा और क्या पढ़ा इस बात का सनद मेरी संगी साथियों के कर्म-कुकर्म मेरी पिछली पीढ़ियों के प्रेम, घृणा, यश और अपयश मेरे बहनों और भाइयों की पद और प्रतिष्ठा मेरे माँ-बाप के जीवन भर का आकलन मेरे खेत, मेरे खलिहान, मेरा घर, मेरा दुआर नीम, पीपल का पेड़ पुरबी और पछुआ बयार मेरे अग्रजों की दुआएं मेरे अनुजों की उम्मीद सब चलती है मेरे साथ हाँ हाँ सब की सब मैं एक ठेले वाला हूँ और एक अपराध करता हूँ तो सारे ठेले वाले अपराधी हो जाते हैं। एक लड़की घर छोड़कर भागती है तो कई लड़कियों के सपने खो जाते हैं। एक ओसामा के आगे बौने पैड जाते हैं 'कलाम' बिस्मिल्ला खान, बीर अब्दुल हमीद और सीमांत गांधी लटका दिया जाता है हर मुसलमान के गले में आतंकवादी होने का तमगा। एक गुजरात चिपका देता है हर हिन्दू के पीठ पर दंगाई होने का प्रमाणपत्र। एक अकेला पुलिस अफसर काफी है सारे अमेरिका को नस्लवादी करार दिए जाने के लिए