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Showing posts from November, 2022

स्वतंत्रता और लोकतंत्र

स्वतंत्रता और लोकतंत्र ****************** "लोकतंत्र के जंगल में कुत्ते जितना भौंकने के लिए स्वतंत्र हैं गीदड़ उतना ही हुक्का हुआँ करने के लिए भी, इसलिए किसी गधे ने ऊंटों के बिलबिलाने पर ढेचू ढेचू नहीं करना चाहिए...!" यह बात बिल्ली ने चूहे को पंजे में पकड़कर कही तब तक टर्राते हुए मेढ़क को धामिन साँप ने निगल लिया। टीले पर बैठी चील ने घास पर उछल रहे खरगोश को देखते ही झपट्टा मारा और उसे ले उड़ी। अपने घोंसले में शांत  बैठी चिड़िया ने इन घटनाओं पर समीक्षक दृष्टि रखते हुए चिड़े से कहा - "किताबों में स्वतंत्रता की परिभाषाएं कुछ भी लिखी हों लेकिन जंगल के अघोषित-सर्वमान्य परंपरा के मुताबिक यहां का हर रहवासी अपनी 'क्षमता' तक ही स्वतंत्र है।"

दोस्ती

"मैने पहले को फोन किया उसने नहीं उठाया क्योंकि उसे लगा मैं बड़ा अधिकारी हूं जरूर इसका कोई काम पड़ा होगा इसलिए फोन कर रहा है। मैने दूसरे को फोन मिलाया उसने भी नहीं उठाया क्योंकि उसे लगा वो एक पत्रिका का संपादक है और मैं उसे कुछ छपवाने का जुगाड़ लगाने के लिए फोन कर रहा हूं। मैने तीसरे को फोन किया उन्होंने भी नहीं उठाया, वो कवि सम्मेलनों के आयोजक हैं उन्हे भी लगा शायद मंच पर पहुंचने का जुगाड़ ढूढ़ रहा होगा। मैने चौथे को फोन किया वो मेरा उपरोक्त तीनों से खास दोस्त था उसने भी फोन नहीं उठाया क्योंकि उसे लगा इतनी रात में मैं किसी जरूरत से ही फोन कर रहा होऊंगा।" "लेकिन यार तुम्हे इतने लोगों को एक साथ फोन करने की जरूरत ही क्या थी?" "अरे उस्ताद! दरअसल वो लोग एक पार्क में बैठकर पार्टी कर रहे थे और मैं उन्हें ये बताने के लिए फोन कर रहा था कि उनकी बीवियां उन्हे ढूढते हुए इस ओर ही आ रही हैं।" #चित्रगुप्त

सलाह

 सलाह ***** चील का बच्चा उड़ना सीख रहा था कि चीड़ के पेड़ से टकराकर नीचे गिरा और घायल हो गया। वह जहां गिरा, वहीं चूहों की मांद थी। चुहिया धूप सेंकने अपने बिल से बाहर निकली तो उसे घायल चील के बच्चे को देखकर बड़ी दया आयी। उसने चील के बच्चे को समझाते हुए कहा - "देख बेटा ये तुम्हारे बिल खोदना सीखने की उम्र है इस उम्र को तुमने उड़ने के सपने देखकर बर्बाद नहीं करना चाहिए।" 

ग़ज़ल

कहा मौत ने तो निकलना पड़ा। किराए का घर था बदलना पड़ा। मोहब्बत ने रिश्तों को जब आंच दी  जमे बर्फ को भी पिघलना पड़ा। जहां चाह थी मुट्ठियों में रहे वहां रेत जैसा फिसलना पड़ा। गिराने की कोशिश में थे लोग सब सम्हलते सम्हलते सम्हलना पड़ा। पुकारा था अपनो ने उम्मीद से थके पांव लेकर भी चलना पड़ा। तड़प जिनकी है वो तो मिलते नहीं कई ऐरों गैरों से मिलना पड़ा। जरूरत के थोड़े से जल के लिए गुलाबों को सारे मसलना पड़ा

पड़ोस धर्म

पड़ोस धर्म ********* एक व्यक्ति ने भगवान की खूब पूजा की, भगवान ने प्रसन्न होकर उसे दर्शन दिया और उससे कोई वरदान मांगने को कहा।  व्यक्ति ने एक ऐसा शंख मांगा जिसको बजाने से वो जो चाहे वह हो जाए।  भगवान ने तथास्तु कहा लेकिन एक शर्त भी लगा दी, कि वह जो भी मांगेगा वह तो हो जाएगा लेकिन उसका दुगना उसके पड़ोसी का भी हो जाएगा।  व्यक्ति ने उस समय तो खुशी -खुशी वह शर्त मान ली। वह घर आया और शंख बजाकर अपनी कामना पूरी करने लगा। उसने मांगा मेरा नया घर बन जाए। पड़ोसी का दो घर बन गया। उसने एक जोड़ी बैल मांगा, पड़ोसी के दो जोड़ी बैल हो गए। व्यक्ति ने एक भैंस मांगी पड़ोसी के दो भैंस हो गई। व्यक्ति की शादी भी नहीं हुई थी उसने अपने लिए एक बीवी मांगी पड़ोसी को दो बीवी मिल गई।  अब उसके सहनशक्ति की इंतहा हो गई थी। उसके बाद कुछ रोज तक उसने  शंख नहीं बजाया। लेकिन पड़ोसी के प्रति उसकी ईर्ष्या रोज रोज बढ़ती जा रही थी। एक दिन उसके दिमाग में एक खयाल आया...। उसने मांगा मेरे घर के आगे एक कुआँ हो जाए पड़ोसी के घर के आगे दो कुआँ हो गया। फिर उसने मांगा मेरी एक आंख फूट जाए, पड़ोसी की दोनों फूट गई। एक दिन पड़ोसी कुएं में