स्वतंत्रता और लोकतंत्र
स्वतंत्रता और लोकतंत्र ****************** "लोकतंत्र के जंगल में कुत्ते जितना भौंकने के लिए स्वतंत्र हैं गीदड़ उतना ही हुक्का हुआँ करने के लिए भी, इसलिए किसी गधे ने ऊंटों के बिलबिलाने पर ढेचू ढेचू नहीं करना चाहिए...!" यह बात बिल्ली ने चूहे को पंजे में पकड़कर कही तब तक टर्राते हुए मेढ़क को धामिन साँप ने निगल लिया। टीले पर बैठी चील ने घास पर उछल रहे खरगोश को देखते ही झपट्टा मारा और उसे ले उड़ी। अपने घोंसले में शांत बैठी चिड़िया ने इन घटनाओं पर समीक्षक दृष्टि रखते हुए चिड़े से कहा - "किताबों में स्वतंत्रता की परिभाषाएं कुछ भी लिखी हों लेकिन जंगल के अघोषित-सर्वमान्य परंपरा के मुताबिक यहां का हर रहवासी अपनी 'क्षमता' तक ही स्वतंत्र है।"