मध्यम वर्ग और सरकारी खैरात
मध्यम वर्ग और सरकारी खैरात ************************ "यार जमूरे! बच्चे को कुत्ते ने काट लिया है, टीका कहाँ लगता है जरा बताओ तो..?" "ये तो अपनी पी एच सी में ही लग जायेगा उस्ताद! बस सोमवार या बीरवार को सुबह आठ बजे पहुँच जाना वहां... वहां तो कोई फीस भी नहीं लगती बस एक रुपये की पर्ची कटानी होती है... नहीं तो हस्पताल के सामने ही जो मिश्रा जी का मेडिकल स्टोर है वहाँ सौ रुपये देकर भी लगवा सकते हैं। वहाँ कभी भी जाओ लग जाता है।" "लेकिन ये वैक्सीन तो सरकारी ही आती है न, फिर मिश्रा जी को कहाँ से मिल जाती है?" "हस्पताल वाले ही तो कमीशन पर देते हैं उस्ताद और कहीं आसमान से थोड़ी टपकती है।" "जब सामने ही फ्री में लगती है तो फिर मिश्रा जी के यहाँ लगवाने कौन जाता होगा यार?" "वो तो नहीं मालुम उस्ताद!" कुछ दिन बाद फिर से जमूरे की मुलाकात मदारी से हुई, तो उसने पूछ लिया- "कुत्ते वाला टीका बच्चे को लगवा लिया था क्या उस्ताद?" "हां भाई लगवा लिया था।" "कहाँ से लगवाया?" "वही अपने मिश्रा जी के यहाँ से..." "क्यो