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Showing posts from October, 2021

शाम का जुगाड़ बनाम ड्रग्स केस

शाम का जुगाड़ बनाम ड्रग्स केस ************************** फेरन ने बीड़ी सुलगाते हुए पूछा है कि- ''शाहरुख खनवा का लड़कवा छूट गया क्या रे?'' "अरे बड़े आदमी हैं ऊ लोग छूट ही जायेंगे। कर लिया होगा आखिर कौनो जुगाड़।" मोतीलाल ने बाएं हाथ की खैनी को दाहिने हाथ से पीटते हुए उत्तर दिया। बगल में ही खड़े तीरथ प्रसाद भी इस मुद्दे पर कुछ बोलना चाहते थे लेकिन मुँह में गुटखा होने के कारण कुछ न बोले।  "अब बताओ भैया 23-24 साल का लड़का है अभी से चरस फूक रहा है?" भोले की चिलम को माचिस की तीली से आग देते हुए रामकेवल ने भी अपनी चिंता प्रकट की।  "अब तो जमाना ही खराब आ गया है भैया। पहले के हीरो देखो, दिलीप कुमार, राजकुमार, शम्मी कपूर, राजकपूर... कैसे-कैसे एक से बढ़कर एक अभिनेता होते थे। और अभी क्या है अभी के तो सब चरसी हैं।" रामपत यादव ने हुक्का खींचते हुए बात को थोड़ा और आगे बढ़ाया।  रामफल काका ने सुरकनी को नाक में डालकर लंबी सी स्वांस खींची और थोड़ा देर मुँह को ऊपर उठाये छींक आने की प्रतीक्षा की पर जब वो विदेशों में जमा काले धन की तरह न आई तो इधर-उधर चकर-बकर देखते हुए बोले

सरकारी वायदे, आम आदमी और छुट्टे साँड़

सरकारी वायदे, आम आदमी और छुट्टे साँड़ ********************************** ताऊ जी बैठकर छुट्टों से अपने खेत की रखवाली कर रहे थे। उनके बगल में ही एक चौदह-पंद्रह साल का लड़का खड़ा बीड़ी पी रहा था। मैंने देखा तो मुझसे रहा न गया। मैंने लड़के को तो टोका ही साथ ही ताऊ जी से भी कहा कि - ''आप तो गाँव के बड़े बुजुर्ग हो आपके सामने ही लड़का बीड़ी पी रहा है और आप हैं कि रोकते नहीं।'' "मना करता ही हूँ भैया लेकिन ये माने तब न?" ताऊ ने उत्तर दिया। "नहीं मानता है तो इसके घर में बताओ, आखिर इसके माँ बाप तो होंगे?" "हैं क्यों नहीं भैया इसका बाप है वो दारू पीकर कहीं पड़ा होगा और माँ है वो सास और देवरानी जेठानी से दंगल में मगन होगी।" ताऊ जी ने कहा और छुट्टों के आने की आहट पाकर हट्ट-हट्ट करते हुए चले गए। उनके जाने के बाद मैं बैठकर सोचने लगा। जिस बच्चे के माँ बाप ही ऐसे हों उनके बच्चों को क्या ही दोष दिया जा सकता है।  ध्यान रहे लोकतंत्र में माई बाप जनता ही है और सरकार इसी माँ बाप का 'चुनाव' है या 'गलती' है जिसको जैसा उचित लगे मान सकते हैं। गरीब का बच्चा है

सरकारी अनुदान पर लिखा हुआ व्यंग्य

मुझे सरकारी अनुदान पर कुछ शोध करने और जनजागरूकता फैलाने का ठेका मिला है। इसलिए इस लेख में मैंने आप सब के लिए तथ्य ढूढ़-ढूढ़कर निकाला है।  'आज मेरा ऊपरी माला खाली है।'  ऐसा सरकार का थोथा विरोध करके अपने आप को महाबुद्धिजीवी होने का गुमान पाले हुए लोग कह सकते हैं। प्रमाणपत्र भी दे सकते हैं हालांकि इस देश में प्रमाणपत्रों को बेचकर चूरन भी नहीं खाया जा सकता है।  अमरीका ने ईराक पर हमला किया तो विजयोपरांत वहाँ की सत्ता अपने 'पिट्ठू' को सौंपी। वही अफगानिस्तान में भी किया हालांकि वे तालिबान को पीठ दिखाकर भाग गये। लेकिन अमरीका अमरीका है और अंग्रेज ठहरे अंग्रेज... इसलिए वे जब भारत से गये तो उन्होंने यहाँ की सत्ता अपने पिट्ठू 'सावरकर' और संघ को नहीं सौंपी बल्कि अपने धुर विरोधी जवाहरलाल को देकर चले गये।  आजादी के बाद बटुकेस्वर दत्त जब अपने जिले के कलेक्टर से काम मांगने गये तो उसने कहा अपने जेल जाने का सुबूत लेकर आओ। उन्होंने भी अंग्रेजों से माफी मांगी थी सो मारे शर्म के चुपचाप गये और बीड़ी बनाने वाली फैक्ट्री में काम करने लगे। बाद में बिचारे क्षय रोग से मरे।  जब भगत सिंह पर दिल

ग़ज़ल

जो भी है पर अपनी जाति धर्म का है लाख बुराई रावण में थी तो क्या है? खुश होकर नुकसान जरा सा सह लेंगे उससे डबल पड़ोसी का यदि होता है। वो बस्ती शैतानों की बस्ती होगी जिस बस्ती में भूखा बच्चा सोता है। रोम-रोम में ज्ञान भरा तो है लेकिन जो भी है सब केवल दो कौड़ी का है। आजमा लेना चित्रगुप्त के नुस्ख़े को बात बड़ी है काम जहाँ धेले सा है। #चित्रगुप्त

राशनकार्ड का फोटो

राशन कार्ड का फोटो **************** "जमूरे!" "हाँ उस्ताद!" "बड़े परेशान दिख रहे हो, क्या बात है?" "अब क्या बताऊँ उस्ताद? सरकार की नीति है कि राशन कार्ड घरवाली के नाम पर ही बनेगा। बनवा भी दिया था। लेकिन उसमें फोटो दूसरी किसी और का आ गया था। दुबारा अपडेट करवाया तो किसी तीसरी का आ गया। तीसरी बार कराया तो किसी चौथी का आ गया।" "इसमें कौन सी बड़ी बात है? मेरा भी तो ऐसा ही आया था।" "इसके लिए आपने कुछ किया नहीं उस्ताद?" "क्यों नहीं किया कर दिया। तहसीलदार को आवेदन दिया दे दिया । कि या तो मेरी घरवाली का फोटो राशनकार्ड में लगा दो या फिर जिसका फोटो मेरे राशनकार्ड में है वो वाली घरवाली ही दिला दो।" #चित्रगुप्त

सरकारी बाबू, सरकारी काम और बिल क्लेम

सरकारी बाबू, सरकारी काम और बिल क्लेम *********************************** "मैं सोच रहा था कि आज कुछ पुरानी फाइलें निपटा ली जाएं।"  बड़े साहब ने सिगरेट का कस खींचते हुए एक बाबू की तरफ देखा...  "मेरी बीवी तीन दिन से बीमार है सर, छोटे वाले बच्चे का भी कल सीढ़ियों से गिरने के कारण हाथ टूट गया है और माँ को भी पिछले हफ्ते से दमे का दौरा पड़ रहा है।इसलिए काम करने का तो मेरा बिल्कुल भी मूड नहीं है।" इससे पहले साहब कोई आदेश देते बाबू ने भी अपनी समस्या सुना दी।  बड़े साहब ने अब दूसरे बाबू की ओर देखा... "अरे सर मैं इस दफ्तर का सबसे सीनियर क्लर्क हूँ। अगर मैं ही काम करने लगा तो इस डिपार्टमेंट की इज्जत का क्या होगा मेरे जूनियर मेरे बारे में क्या सोचेगे? देखो इतना सीनियर आदमी है फिर भी काम करता है?" बड़े साहब ने अब तीसरे बाबू की ओर देखा... "मुझे तो ऑफिस का काम आता ही नहीं है सर... कोई कोर्ट कचहरी का काम हो तो बताइए वन टू में करा दूंगा। वैसे अगर मुझे पता होता तब तो मैं काम जरूर करता लेकिन मै मजबूर हूँ सर..." जब कुछ आता नहीं, तो नौकरी मिली कैसे? और अगर मिल भी गई तो इत