डर
डर **** मेरा डर ऐसा नहीं है कि गोधरा कांड कर दूं या फिर जला ही दूँ पूरा गुजरात मेरा डर ऐसा भी नहीं है कि बम्बई में बम फोड़ दूँ अखलाक को पीटकर मार दूँ कश्मीर में काला झंडा गाड़ दूं पैगम्बर के लिए दिगंबर हो जाऊँ भगवान के लिये भगवा फहराऊँ पृथ्वीराज का जयचंद हो जाऊं सिराजुद्दौला का मीरजाफर बन जाऊं मेरा डर ऐसा भी नहीं है कि बामियान का तालिबान बनूँ या फिर ईराक, अफगानिस्तान का अमेरिका यहूदियों के ख़िलाफ़ वाला हिटलर बर्बर शाशकों में ईदी अमीन या चीन के शहर नानजिंग में घुसा जापान मेरा डर तो उस शांता ताई का डर है। जो मुंबई में मेन होल के पास जलभराव होने पर रात भर डंडा लिए इसलिए खड़ी रहती है कि कोई इसमें गिर न जाय। मेरा डर तो उस दशरथ मांझी का डर है। जिसने पूरा पहाड़ ये सोचकर तोड़ दिया कि अगली बार जब कोई उसकी बीवी की तरह बीमार हो तो उसे चालीस किलोमीटर घूमकर न जाना पड़े। मेरा डर उस पत्रकार का भी डर नहीं है। जो अभिव्यक्ति की आजादी ख़तरे में है कहकर दिन भर नॉन स्टॉप बोले। मेरा डर उस बुधिया का डर है जो कोटेदार से आधा राशन मिलने पर भी कारण नहीं पूछ पाती। मेरा डर उस लीडर का भी डर नहीं है जो सत्ता से बाहर