अकर्मण्यता
"हम कोरोना जाँच के लिए आये हैं भैया किसी को सर्दी खांसी जुकाम तो नहीं है न आपके घर में?" आगंतुक चार महिलाओं में से एक ने मुझसे सवाल किया। "आप लोग अस्पताल से आई हैं क्या?" मैंने सबसे तेज़ चैनल के न्यूज़ एंकर की तरह सरकार के काम की पड़ताल करने की कोशिश की। "नहीं भैया मैं आंगनबाड़ी वाली हूँ।" "अरे भाई आंगनबाड़ी वालियाँ कब से मेडिकल जांच करने लगीं?" मैंने ये बात साथ बैठे एक अन्य की तरफ इशारे से पूछने की कोशिश की लेकिन वो तो अब तक जा चुका था। बगल वाली सीट खाली हो जाने के दुःख में मैंने सामने वाली से ही प्रश्न किया। "अच्छा ये आपके साथ में और कौन-कौन है?" "एक ये तो अपने गांव की ही आशा बहू हैं, ये वाली आंगनबाड़ी सहायिका और ये जो तीसरी हैं ये ए एन एम मैडम की तरफ से हैं।" उसने हाथ के इशारे से अपनी बात बता दी। "ए एन एम मैडम की तरफ से हैं का क्या मतलब?" "अस्सी हजार रुपये महीना तनख़्वाह है भैया उनकी वो हमारे जैसे गली गली घूमने क्यों आएंगी? ये तो अपने ही गांव की दाई हैं। इनको तो ऐसे ही गिनती पूरा करने के लिए अपनी जगह पर हमारे साथ