चिट्ठी
प्रिय राहुल गांधी जी सप्रेम देश की व्यथा कथा से तो आप परिचित ही हैं। सत्ता ठीक काम करे इसलिए मजबूत विपक्ष का होना निहायत ही जरूरी है। आपके नाना जवाहर लाल नेहरू को डॉ राममनोहर लोहिया जैसा तगड़ा विरोधी न मिला होता तो शायद उनकी राजनीतिक चमक इतनी न होती। आप परिवारवादी परम्परा से आये हैं ये तो आपके लिए निगेटिव प्वॉइंट है ही साथ ही कपिल सिब्बल और दिग्विजय सिंह जैसे नेता भी आपके लिए शकुनि ही साबित हो रहे हैं। इसलिए अगर आप सचमुच राजनीति ही करने आये हैं तो सबसे पहले इनके हाथ जोड़ लीजिये। इन्हें कहिए बहुत कमा लिया अब घर बैठिए। जमीन से जुड़े लोगों से सलाह लीजिये। आपके दाहिने बाएं ऊपर नीचे जितने भी लोग बैठे हैं न वो सब जानबूझकर आपसे ऐसी हरकतें करवाते हैं जिससे आपका मजाक बनता रहे..। आप सीधे आदमी हैं। सच्चे आदमी हैं। आपको तो राजनीति में होना ही नहीं चाहिए था। लेकिन करते भी क्या आप? अब आ ही गये हैं और सीरियस भी हैं तो ऐसी हरकतें छोड़िए। जैसे सिद्धार्थ के बाहर निकलने से पूर्व जिसप्रकार पूरे राज्य को इस प्रकार सजा दिया जाता था कि वे वही देख पाते थे जैसा शुद्दोधन चाहते थे लेकिन उनकी खुश किस्मती थी कि उन्हें