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Showing posts from May, 2021

साँप और आदमी

साँप और आदमी ************* झाड़ी में खेल रहे सांप के बच्चे ने अपनी माँ से पूछा- "मम्मी मम्मी एक आदमी इधर ही आ रहा है उसे काट लूँ क्या?" "बच्चे की बात सुनकर नागिन घुड़की... तू बड़ा आया उसे काटने वाला अगर उसने भी पलटकर काट लिया तो?" #चित्रगुप्त 

सास, दामाद और पापड़

सास, दामाद और पापड़ (जनश्रुति) ************************ एक आदमी ससुराल गया... वहां सास ने तरह तरह के पकवान तो बनाये लेकिन दामाद जब खाने के लिए बैठा तो बुजुर्ग सास पापड़ देना भूल गई।  पापड़ को गरम रखने के लिए उन्होंने उसे चूल्हे के ऊपर ही रखकर छोड़ दिया था। वह आदमी जहाँ बैठकर खाना खा रहा था वहां से पापड़ बिल्कुल  सामने रखा हुआ दिखाई भी दे रहा था। लेकिन ससुराल में संकोचवश मांगे तो मांगे कैसे...? फिर आदमी ने दिमाग लगाया और सास से बोला  "सासू माँ आते समय रास्ते में एक बहुत बड़ा सांप देखा..." "कितना बड़ा था बेटा.."  "जो वो पापड़ रखा है वहां से लेकर यहाँ तक... इतना लंबा था।" पापड़ का नाम आते ही सास को पापड़ देने वाली बात याद आ गई। वो सास समझदार दी जो इशारों से ही समझ गई लेकिन हमारे राजनेता और नौकरशाह लोग्स ऐसी सास हैं जिन्हें पापड़ पापड़ चिल्लाती हुई जनता के लिए भी आंय आंय के अतिरिक्त कुछ नहीं है।  #चित्रगुप्त

दो भेंगे

दो भेंगे ****** किसी राज्य में दो भेंगे थे। जिन्हें सब भेंगा भेंगा कहकर चिढ़ाते थे।  वैसे भेंगापन उनका बचपन का दोष नहीं था लेकिन उनकी फितरत ही कुछ ऐसी थी कि किसी ने उन्हें मारकर ऐसा कर दिया था। अब इसे प्रकृति का करामात कहें या मारने वाले कलाकारी कि दोनों में से एक दाहिनी तरफ को भेंगा हुआ और दूसरा बाँयी तरफ... दोनों से ही काम तो कुछ सधता न था इसलिए वे बैठे बैठे बातें बनाते रहते थे। इसपर किसी ने सलाह दे दिया कि जो बैठे बिठाए बातें बनाते रहते हो उसे किसी कागज पर उतार लिया करो तो लेखक बन सकते हो, बस वहीं से इनके लेखक होने की शुरुआत हो गई।  वैसे तो उन्हें लेखक होने का 'ल' भी नहीं पता, लेकिन गाँव से संबंध होने के कारण 'ल' से और भी बहुत कुछ जो भी हो सकता है वो सब उन्हें पता था। इसलिए और कुछ आये न आये वे गालियां बहुत बेहतरीन देते थे जिस कारण अधिकतर आम लोग उनसे बचकर ही रहते थे। हालांकि इलाके के लुच्चे और लफंगे लोगों में उनकी ख्याति धर्म में  अंधविश्वास की तरह फैल गई थी।  'फालतू पंगे कौन ले?' वाले सिद्धांत पर चलते हुए लोग इनसे बहस न करके 'हाँ में हाँ' मिलाने वाले स

कुत्ता पुराण

कुत्ता पुराण ********** सुना है कि कुत्ते और बच्चे में एक ख़ास गुण होता है कि वह व्यक्ति के अंदर छुपे जलन कुढ़न और ईर्ष्या को दूर से ही पहचान लेते हैं। इसलिए अक्सर देखा होगा कि किसी सुंदर-मुन्दर से दिखने वाले  के पास जाते ही बच्चा रोने लगता है या कुत्ता उसे देखते ही भौंकता है। वहीं इसके विपरीत किसी कांतिहीन आदमी को देखकर भी बच्चा हंसता है और उसकी गोदी में चला जाता है या कोई कुत्ता उसे देखते ही दुम हिलाने लगता है।  इसलिए किसी भी आदमी के व्यक्तित्व परीक्षण के लिए ये टेस्ट एक बेहतर विकल्प हो सकता है। बच्चा तो मनमौजी होता है इसलिए उससे तो ऐसा कोई काम लिया नहीं जा सकता दूसरे देश में बालश्रम निरोधक कानून भी हैं। कोई पुलिस का लफड़ा हुआ तो उनका पाँव पूजते पूजते अपने ही पाँव भारी हो जाएंगे, दूसरे अगर वो बच्चा किसी अतिरिक्त चतुर मम्मी का हुआ तब तो वो ऊदबिलाव जैसे ऐसा रूप दिखाएगी कि आपका सारा परीक्षण धरा का धरा रह जायेगा। पर हां ऐसे किसी काम में कुत्तों को आजमाया जा सकता है। वैसे भी कुत्ते बाकी बहुत सारे काम तो कर ही रहे हैं। एक काम व्यक्ति के चरित्र चित्रण का भी कर देंगे तो कौन सा पहाड़ टूट जाएगा। व