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Showing posts from May, 2020

नेता जी का इस्तीफा

नेता जी का इस्तीफा ***************** अहिंसावादी रास्तों के पैरोकार गांधी जी को सुभाष बाबू का गरम रवैया काबिले बर्दास्त न था। साथ ही उनकी लोकप्रियता भी दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ रही थी। साफ तौर पर यह दो विचारधाराओं का टकराव था। बौद्धिक वर्ग में गांधी जी की पैठ अधिक थी पर जमीनी कार्यकर्ताओं में सुभाष बाबू का कोई सानी नहीं था। वो जहाँ जाते लोग उनकी एक झलक पाने को आतुर हो जाते... लोग उनके एक इशारे पर अपना सर्वस्व न्योछावर करने को तैयार थे... सुभाष बाबू की इस बढ़ती लोकप्रियता ने कांग्रेस के कई बड़े नेताओं की नींदें हराम कर दीं। वर्चस्व की इस लड़ाई में अंदर ही अंदर सुभाष बाबू को किनारे करने के लिये अंदर ही अंदर चालें चली जाने लगीं। वर्ष था 1939... कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव होना था और गांधी जी किसी भी कीमत पर सुभाषचंद्र बोस को दुबारा अध्यक्ष पद पर नहीं देखना चाहते थे। लेकिन सुभाष बाबू ने चुनाव लड़ने के लिए अपने नाम की घोषणा कर दी । मौलाना अबुल कलाम आजाद ने सुभाष की आंधी के सामने चुनाव से अपना नाम वापस ले लिया। नेहरू ने भी बुरी शिकस्त की आशंका में चुनाव लड़ने से मुकर गये तब गांधी जी ने आंध्रप्रदेश

बेकार आदमी

बेकार आदमी ************ पिता जी की साइकिल का प्रवेश घर की चौहद्दी में होते ही मन्नू उठकर चल दिया, लेकिन उसे देखने के बाद पिता जी का जो पारा चढ़ा था उसने तो पुत्तन पर फूटना ही था।  "पुत्तन तुमने शराब पीनी भी शुरू कर दी क्या?" पिता जी ने साइकिल को दीवार से लगाते हुए चीखना शुरू कर दिया।  पुत्तन क्या बोलता सिर झुकाए खड़ा रहा उसे तो पता ही था कि मन्नू को साथ देखकर  कुछ ऐसा ही होने वाला है। इसीलिए तो मन्नू भी इनको देखते ही उठकर चला गया था। "..तुम कुछ बोलते क्यों नहीं" पिता जी फिर घुड़के..."दोस्ती करने के लिए तुम्हें कोई ढंग का आदमी भी नहीं मिलता गांव के जितने भी गंजेड़ी शराबी हैं उनके बीच ही उठना है तुम्हारा..देखो मास्टर के लड़के को छोटी सी दुकान खोला था आज पूछो लाखों में खेल रहा है, दूसरा छोड़ो महरा के लड़के को ही देखो मजदूरी करते करते ठेकेदार बन गया... और तुम?" पिता जी पुत्तन पर ख़फ़ा तो पहले ही थे पर बरसने का मौका मन्नू ने उपलब्ध करा दिया था।  मन्नू दारू पीता है गांजा पीता है ये तो सही बात है पर आदमी खराब नहीं है। कुछ रोज पहले ही गांव के कुछ  दबंगो ने बाजार में जब पुत

मजदूर

मजदूर (1) जाती हुई गाड़ी को देखकर वही हाथ हिलाता है जिसका कोई दूर होता है या जो ख़ुद दूर होता है। (2) मजदूर झुके हुए सिर का कोण और गठरी का वजन देखकर जान लेता है कि कौन घर से जा रहा है और कौन घर को जा रहा है। (3) जो बीवी की दुत्कार से ज्यादा साहब की फटकार खाता है वो मजदूर होता है। (4) जो बातें बनाता है वो मशहूर होता है जो देश बनाता है वो मजदूर होता है। (5) उसके परिश्रम के फूलों से पूरी बगिया तो महक जाती है लेकिन उसके शरीर से बहुत बदबू आती है। #चित्रगुप्त