कच्चा आम
कच्चा आम ********* गावों में अब कुछ ही कुएं के ढांचे बचे हैं जो संभवतः आने वाले कुछ वर्षों में समाप्त हो जायेंगे। अभी गांव-गांव पानी की बड़ी-बड़ी टंकियां बन रही हैं। जो आने वाले वर्षों में नलों को समाप्त कर देंगी। फिर वह भी इतिहास का हिस्सा बनकर रह जाएंगे। कुछ वर्षों बाद पानी की टंकियों का भी कोई न कोई विकल्प आ ही जाएगा। जब लोग कुएं का पानी पीते थे तब उसमें मेढ़क भी होते थे। वो अगर नहीं होते थे तो उन्हें ऊपर से डाल दिया जाता था जिससे वह छोटे-छोटे कीड़ों को खाकर पानी साफ रखें। कई बार ये मेढ़क बाल्टी के साथ ऊपर भी आ जाते थे। जो दिखने पर निकाल दिए जाते थे। बुधिया ने ससुर के लिए खाना परोसा और भीतर जाकर बैठ गई। घर में घुप अंधेरा था लेकिन लालटेन जलाने का मतलब था कीट पतंगों को आमंत्रित करना। ससुर सुखराम खाना खाना शुरू करते ही कहने लगे- "वाह! जी वाह! आज तो खाने में कुछ अलग ही मजा आ रहा है। जिओ बहुरिया क्या खाना बनाया है तूने और दाल में पड़ा आम आय! हाय! मजा ही आ गया। समधिन ने ढूढ़कर भेजा होगा मेरे लिए..." सुखराम खा कम रहे थे और उसका गुणगान ज्यादा कर रहे थे। यह गुणगान उनकी बीवी सुखिय