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Showing posts from August, 2021

तानाशाही

तानाशाही ******** सरकार की तानाशाही के विरुद्ध, विरोध प्रदर्शन कर रहे दल के अगुआ से, एक छुटभैया ने भीड़ के अराजक हो जाने का हवाला देकर, रैली का रास्ता बदलने का आग्रह किया। इतनी सी बात पर वे तैस में आ गये और उसे ये कहते हुए चाटा जड़ दिया कि "पार्टी का अध्यक्ष मैं हूँ या तुम...?" #चित्रगुप्त 

कब तक दलित

कब तक दलित ************ (आज जमूरा तहसीलदार ऑफिस के क्लर्क की भूमिका में है।) "आज तो संडे की छुट्टी है न जमूरे ? फिर ये सुबह सुबह तैयार होकर कहाँ चले...?" "कुछ ख़ास नहीं उस्ताद बस तहसीलदार साहब का फोन आया था। उनके कोई सीनियर आई ए एस हैं। जो इसी तहसील के स्थायी निवासी हैं। उनका ही कुछ काम था उसी सिलसिले में दफ़्तर तक जाना पड़ेगा।" "कौन सा ऐसा जरूरी काम है जो आज ही करना है वो कल भी हो सकता होगा न...?" "अरे उस्ताद यही तो बात है न...? बड़े आदमियों के नख़रे भी बड़े ही होते हैं। बच्चे का यूपीएससी में फॉर्म भरवा रखे हैं तो अब जाति प्रमाण पत्र निकलवाना है और मेरे संडे की ऐसी तैसी मार रहे हैं।" "कहीं एकनथवा की बात तो नहीं कर रहे तुम...?" "हाँ हाँ वही ..." "ये तो पिछली तीन पीढ़ियों से आईएएस हैं लेकिन अब तक दलित ही हैं क्या?" "जो संविधान में लिखा है उसे थोड़ी न काट सकते हैं उस्ताद! ये अलग बात है कि मठाधीशी में ये पंडितों के भी महा पंडित हैं।" #चित्रगुप्त 

जन्नत और जहन्नुम

''जमूरे!'' "बको उस्ताद!" " ये जो ईमान के नाम पर कुछ बेईमान लोग हवाओं में बारूद घोलते हैं। धरती को लाल करते हैं। मासूमों को जन्नत का ख़्वाब दिखाकर बरगलाते हैं और फिर तरह तरह की भसड़ मचाते  हैं। क्या सचमुच ये क़यामत के रोज़ (या जिसके मज़हब में जो हो...) जन्नत के अधिकारी होंगे?" " रुको रुको उस्ताद! ईमान के नाम पर ही नहीं, धर्म के नाम पर, मज़हब के नाम पर, पैगम्बर के नाम पर, अवतार के नाम पर, थोथे गप्पों के नाम पर, आसमानी किताबों के नाम पर, टोपी के नाम पर, टीके के नाम पर, बुर्के के नाम पर, बिकनी के नाम पर, बकरों के नाम पर गाय के नाम पर,  नाम तो नाम कभी- कभी बेनाम पर, ये तो भसड़ मचाने का कोई भी मौका हाथ से नहीं जाने देते। " "बाकी तो सब ठीक है जमूरे लेकिन मेरा सवाल का जवाब तो दो... कि ये सब जो जन्नत (सब अपनी-अपनी भाषा और मज़हब के हिसाब से समझ लें) दिलवाने के नाम पर थोक भाव में चल रहा है तो ऐसा करने वालों को जन्नत मिलेगी क्या?" "क्या बात करते हो उस्ताद इसी मानसिकता के साथ अगर इन्हें जन्नत मिल भी गई तो ये उसे भी दो दिन में 'जहन्नुम