Posts

Showing posts from February, 2020

पुनर्परीक्षा

पुनर्परीक्षा ********** ''पांचवी के मैथ की पुनर्परीक्षा....दसवीं बारहवीं का सुना है.. स्नातक, परास्नातक का सुना है... अन्य कॉम्पिटेटिव एग्जाम का सुना है। किसी का पेपर लीक हो गया? किसी परीक्षा केंद्र में कोई अनियमितता मिली ? ये बातें तो समझ में आती है पर पांचवी के इम्तहान में ऐसी कौन सी धरती हिल गई, कौन सा आसमान टूट गया? जो पुनर्परीक्षा का फरफान सुना दिया गया..? छोटे-बच्चों के लिये ये परीक्षा का डबल डोज......? आखिर ये मैनेजमेंट को सूझा क्या है?" "अब जो मैंने सुना था वो बता दिया... बाकी दोपहर में मीटिंग है मैडम जी विस्तार से समझा देंगी" साथी अध्यापक ने बेरुखी दिखाते हुए मेरी कही हुई बातें गटर में डाल दीं। मीटिंग शुरू हो गई थी। मैडम ने बोलना शुरू किया..."देखिये अभय जी अभी आप स्कूल में नये आये हैं इसलिए प्रश्नपत्र बनाने में और उनको जांचने में कई त्रुटियां पाई गई हैं। ये मीटिंग बुलाने का मेरा एक मात्र उद्देश्य यही था। आप काफी पढ़े लिखे और योग्य हैं पर अनुभव की कमी के कारण आपसे जो गलतियां हुई हैं मैं उम्मीद करती हूँ वो दुबारा नहीं होंगी और आने वाले दिनों में आप एक

गोष्ठी

गोष्ठी ******** एक ने कहा -"राजनीति भ्रष्ट है।" दूसरे ने कहा-"पुलिस भ्रष्ट है।" तीसरे ने कहा- न्याय ब्यवस्था ... हाय ! हाय ! हाय ! चौथे की चिंता किसी चौथे पर थी। और पांचवे की पांचवे पर.... सबने सबकी वाजिब चिंताओं पर वाजिब हामी भरी दुःख ब्यक्त किया रोष जताया गोष्ठी की सबसे गौरतलब बात ये कि सब अपने-अपने दफ्तर बंक करके आये थे। #चित्रगुप्त 

यूँ ही

राप्ती सागर एक्सप्रेस में नागपुर से गोंडा के सफर था। टिकट वेटिंग वाला था इसलिये दरवाजा पकड़ के ही खड़ा था। एक परिवार भी यात्रा कर रहा था जिनकी आठ सीटें कन्फर्म होने के बाद भी आदमी/औरतें/बच्चे सीटों के हिसाब से ज्यादा हो रहे थे। एक एक सीट पर दो दो के बाद भी बचे हुए अतिरिक्त लोग बीच में फर्श पर सो गये। बच्चों को आने जाने वाले रास्ते पर चादर बिछा कर सुला दिया गया।  बच्चों का रास्ते में सो जाना आने जाने वालों को रात भर अखरता रहा.... खोमचे वाले आते जाते समय तरह-तरह की बातें सुनाते रहे पर उनके परिजनों पर इसका कोई ख़ास असर न हुआ....  सुबह का वक्त होने को आ गया था। ट्रेन उरई से आगे चल रही थी। जी आर पी के दो सिपाही ट्रेन की चेकिंग करते हुए आये और बच्चों के ऊपर पैर रखते हुए निकल गये। पहले के पैर रखते ही जद में आया बच्चा चिल्लाते हुए उठकर बैठ गया था। उसके बाद भी उसके पीछे चलने वाले ने दूसरे सोये बच्चे के ऊपर पैर रखकर आगे जाना ही मुनासिब समझा अब दूसरा भी चिल्ला रहा था।  मैं सामने था तो रास्ता रोक लिया... इससे पहले मैं कुछ कहता उन बच्चों की मायें अपना अपना चप्पल सम्हालकर मोर्चा ले चुकी थीं। मैंने तुरं