कलट्टर कैसे बनते हैं

कलट्टर कैसे बनते हैं?
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"दस रुपये...दस रुपये, दस रुपये, दस रुपये... भुट्टे लेलो दस रुपये" रेलवे क्रॉसिंग वाला फाटक बंद होने की वजह से बस रुकी तो एक लड़का ऊँची आवाज में चिल्लाते हुए बस में चढ़ा। 

"तुम्हारा नाम क्या है बेटा ?" लड़का मेरे बगल में आया तो मैंने सवाल किया।

"सरोज कुमार"

"लेकिन सरोज नाम तो लड़की का होता है?"

"अरे अंकल... अगर सरोज कुमारी होता तब लड़की का होता लेकिन यहाँ तो सरोज कुमार है।"

"लेकिन सरोज तो लड़की का है न?"

"लड़की का भी है तो क्या है अंकल? लड़कियां आज की डेट में कौन सी कम हैं।"

लड़के के जवाब ने मुझे लाजवाब कर दिया। मैंने और बात को बढ़ाने के लिए उससे पूछा-

"पढ़ने जाते हो?"

"हाँ जाता हूँ, लेकिन आप टाइम मत खराब करो अंकल लेना है तो बोलो नहीं तो आगे बढूँ?"

"बात करने के भी पैसे दे दूँगा टेंसन क्यों लेते हो? मिस्टर सरोज कुमार।"

"मिस्टर सरोज कुमार..." लड़का जोर से हँसा।

"भीख नहीं चाहिए अंकल भगवान ने हाथ पैर दिए हैं कमाकर खा लूँगा। आप जल्दी बोलो क्या बोलना है?"

"बोलना यही है कि चौदह साल से कम उम्र के बच्चों का काम करना अपराध है लेकिन तुम तो कर रहे हो?"

"अरे अंकल अपने सरकार से कहो आम इमली को एक ही तराजू में न तौले, मैं ये अपनी खुशी से कर रहा हूँ। स्कूल भी जाता हूँ लेकिन वहां से आकर थोड़ा मेहनत मजदूरी कर लेता हूँ। स्कूल में तो पढ़ाई होती नहीं इससे  ट्यूशन का खर्चा निकल जाता है, तो इसमें सरकार का क्या जाता है? भुट्टा ही बेच रहा हूँ अंकल, कोई चोरी तो नहीं कर रहा?" 

लड़के के आत्मविश्वास से अब मैं झेंपने लगा था।

"लेकिन मैं अगर तुम्हारी कोई मदद करना चाहूं तो...?"

"आप क्या मदद करोगे अंकल आपका ही कोई काम होगा तो बता देना मैं आकर फ्री में कर दूंगा। फिर भी आप अगर मदद करना ही चाहते हैं तो मुझे एक बात बताओ कि कलेट्टर कैसे बनते हैं?"

"उसके लिए तो बहुत पढ़ना पड़ता है।

"पढ़ तो मैं लूँगा अंकल, बस पढ़ना क्या है वो आप बता दो..."

"बेटे तुम अपना फोन नंबर देदो मैं तुम्हें जरूर बताऊंगा और अगर तुम्हारा आत्मविश्वास ऐसा ही रहा तो तुम्हें कलेट्टर बनने से कोई रोक भी नहीं सकता।"

फाटक खुलने से बस रेंगने लगी थी। सरोजकुमार भुट्टा बेचते हुए नीचे उतर गया था। 

#चित्रगुप्त 

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