शाम का जुगाड़ बनाम ड्रग्स केस
शाम का जुगाड़ बनाम ड्रग्स केस
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फेरन ने बीड़ी सुलगाते हुए पूछा है कि-
''शाहरुख खनवा का लड़कवा छूट गया क्या रे?''
"अरे बड़े आदमी हैं ऊ लोग छूट ही जायेंगे। कर लिया होगा आखिर कौनो जुगाड़।" मोतीलाल ने बाएं हाथ की खैनी को दाहिने हाथ से पीटते हुए उत्तर दिया। बगल में ही खड़े तीरथ प्रसाद भी इस मुद्दे पर कुछ बोलना चाहते थे लेकिन मुँह में गुटखा होने के कारण कुछ न बोले।
"अब बताओ भैया 23-24 साल का लड़का है अभी से चरस फूक रहा है?" भोले की चिलम को माचिस की तीली से आग देते हुए रामकेवल ने भी अपनी चिंता प्रकट की।
"अब तो जमाना ही खराब आ गया है भैया। पहले के हीरो देखो, दिलीप कुमार, राजकुमार, शम्मी कपूर, राजकपूर... कैसे-कैसे एक से बढ़कर एक अभिनेता होते थे। और अभी क्या है अभी के तो सब चरसी हैं।" रामपत यादव ने हुक्का खींचते हुए बात को थोड़ा और आगे बढ़ाया।
रामफल काका ने सुरकनी को नाक में डालकर लंबी सी स्वांस खींची और थोड़ा देर मुँह को ऊपर उठाये छींक आने की प्रतीक्षा की पर जब वो विदेशों में जमा काले धन की तरह न आई तो इधर-उधर चकर-बकर देखते हुए बोले- "चरस ही नहीं वो तो सुना है कौनो गोली भी खात रहा ससुरा... बाप हीरो बना घूम रहा है और बेटे का भिलेन वाले काम... अब सच्ची में कलजुग आय गवा भैया।"
मजदूरों का पूरा अड्डा फ़िल्म सिटी ड्रग्स केस की परिचर्चा में व्यस्त था, कि फेरन ने बीड़ी खत्म करके सबको आगाह किया। " जल्दी-जल्दी पैसे इकट्ठा करके सब लोग मुझे दो नहीं तो आज शाम का जुगाड़ नहीं होने वाला...। मधौवा को फोन किया था वो बोला है कि लेना होगा तो शाम को ठीक सात बजे आ जाना वरना फिर नहीं मिलने वाला।"
"ऐसे कैसे नहीं मिलेगा?" रामफल काका ने सुरकनी का डिब्बा बंद करते हुए पूछा।
"वो ऐसे नहीं मिलेगा काका, कि ई बिहार है और यहाँ पूर्ण शराब बंदी लागू है। शाम होते ही पुलिस भी कुत्ते की तरह सूंघते हुए इधर-उधर मुंह मारने लगती है।" फेरन ने कहा और साथी मजदूरों से पैसे लेकर शाम के जुगाड़ के लिए नाके की ओर चल दिया। बाकी बचे मजदूर अब भी बम्बई फ़िल्म सिटी में फैले ड्रग्स कारोबार को लेकर अपनी चिंताएं व्यक्त कर रहे थे।
#चित्रगुप्त
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