ग़ज़ल

जो भी है पर अपनी जाति धर्म का है
लाख बुराई रावण में थी तो क्या है?

खुश होकर नुकसान जरा सा सह लेंगे
उससे डबल पड़ोसी का यदि होता है।

वो बस्ती शैतानों की बस्ती होगी
जिस बस्ती में भूखा बच्चा सोता है।

रोम-रोम में ज्ञान भरा तो है लेकिन
जो भी है सब केवल दो कौड़ी का है।

आजमा लेना चित्रगुप्त के नुस्ख़े को
बात बड़ी है काम जहाँ धेले सा है।
#चित्रगुप्त

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