सरकारी बाबू, सरकारी काम और बिल क्लेम

सरकारी बाबू, सरकारी काम और बिल क्लेम
***********************************
"मैं सोच रहा था कि आज कुछ पुरानी फाइलें निपटा ली जाएं।"  बड़े साहब ने सिगरेट का कस खींचते हुए एक बाबू की तरफ देखा... 

"मेरी बीवी तीन दिन से बीमार है सर, छोटे वाले बच्चे का भी कल सीढ़ियों से गिरने के कारण हाथ टूट गया है और माँ को भी पिछले हफ्ते से दमे का दौरा पड़ रहा है।इसलिए काम करने का तो मेरा बिल्कुल भी मूड नहीं है।" इससे पहले साहब कोई आदेश देते बाबू ने भी अपनी समस्या सुना दी। 

बड़े साहब ने अब दूसरे बाबू की ओर देखा...

"अरे सर मैं इस दफ्तर का सबसे सीनियर क्लर्क हूँ। अगर मैं ही काम करने लगा तो इस डिपार्टमेंट की इज्जत का क्या होगा मेरे जूनियर मेरे बारे में क्या सोचेगे? देखो इतना सीनियर आदमी है फिर भी काम करता है?"

बड़े साहब ने अब तीसरे बाबू की ओर देखा...

"मुझे तो ऑफिस का काम आता ही नहीं है सर... कोई कोर्ट कचहरी का काम हो तो बताइए वन टू में करा दूंगा। वैसे अगर मुझे पता होता तब तो मैं काम जरूर करता लेकिन मै मजबूर हूँ सर..."

जब कुछ आता नहीं, तो नौकरी मिली कैसे? और अगर मिल भी गई तो इतने दिन से इसे कर कैसे रहे हो?" बड़े साहब ने प्रश्न किया।

"अरे साहब यह भी कोई बताने वाली बात है? पिता जी का जुगाड़ था तो करा दिया वरना मुझे कौन पूछता? और रही बात नौकरी करने की तो कोई मुझे हाथ लगाकर दिखा दे कचहरी के इतने चक्कर कटवाऊंगा कि वो अपना नाम पता भी भूल जाएगा।"

बड़े साहब ने अपनी अधीरता को छुपाने के लिए अब चौथे की तरफ देखना भी मुनासिब न समझा और सीधे चपरासी को बुलाकर अपनी मेज पड़ी फाइलों को जलाने का आदेश दे दिया। 

"लेकिन साहब ये सब तो अपने बाबू जी पार्टी के अलग-अलग तरह के बिल और उनके क्लेम के कागज हैं। इन्हें ही जलाना है क्या?" चपरासी ने कन्फर्मेशन के लिए बड़े साहब से एक बार फिर पूछा।

"हाँ भाई इन्हें ही जलाना है। आज सोच रहा था इसे निपटा दूँ लेकिन जब कोई काम करने को तैयार ही नहीं है तो क्या करना है? इसे जला ही देते हैं।"

"अरे नहीं नहीं सर इसे मत जलवाइये... बड़ी मसक्कत से कहाँ कहाँ जुगाड़ लगाकर हमने एक-एक बिल का बंदोबस्त किया है।" सारे बाबू एक साथ बोल पड़े। 

#चित्रगुप्त

Comments

Popular posts from this blog

लगेगी आग तो

कविता (चिड़िया की कैद)

बाबू राव विष्णु पराड़कर