ग़ज़ल
नाम तुम्हारा मंदिर मंदिर चिपकाकर।
देखेंगे हम अपनी किस्मत आजमाकर।
बेर तुम्हारे हाथों से खाते हैं तो
गुदगुदियां होती हैं अंदर में जाकर।
पायल, झुमके, कंगन भी तुझको चाहिए
मैं तो खुश हूं केवल तुझको ही पाकर।
मरने का ही शौक लगा है तुझको तो
इश्क मोहब्बत जो मर्जी हो तू जा कर।
दिलफेकों को दिल पर काबू दे या फिर
तीन चार दिल देकर इनको भेजा कर।
लफ्जों के हर तीर कयामत वाले हैं
जाने क्या वो बैठे हैं ऐसा खाकर।
वो सागर से मिलने को जाएगी ही
थक जाओगे तुम दरिया को समझाकर।
#चित्रगुप्त
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