डाक विभाग को पत्र
प्रिय डाक विभाग
मेरी तरफ से सादर इक्कीस जूते तुम्हारे सिर पर पड़ें
मैं सुख पूर्वक रहकर ईश्वर से दिन रात प्रार्थना करता हूँ कि सब बेंचने पर उतारू सरकार जल्द ही तुम्हारा भी सत्या नाश करे।
तुम्हें जानकर अपार खुशी होगी कि जुलाई महीने में बहनों द्वारा भेजी गई राखी अब तक नहीं पहुंची है और एक दूसरी डॉक्टर बहन की 14 अगस्त को भेजी गई दवाइयां भी अब तक भगवान कार्तिक की तरह भ्रमण पर ही हैं। इन बहनों की बद्दुआएं भी तुम्हें नसीब हों ऐसी प्रार्थना भी मैं सुबह शाम किया करता हूँ।
आप मेरा सामान पहुंचाइये या भाड़ में जाइये मगर कभी टाइम मिले तो एक बार 'चिकन नेक' (सिलीगुड़ी= न्यू जलपाईगुड़ी) के इस पार जरूर आइये।
पूवोत्तर के आठ राज्य असम, नागालैंड मणिपुर, मिज़ोरम, मेघालय, त्रिपुरा, अरुणाचल, सिक्किम जिसे सिक्किम को छोड़कर सेवन सिस्टर्स भी कहते हैं। सिक्किम तो कई सालों से आदर्श राज्य भी है जहाँ की साक्षरता केरल के बाद सौ फीसदी है और यहाँ की सुविधाएं भी काफी बेहतर हैं। इसका कारण शायद यह हो कि यहाँ तक जाने के लिए चिकन नेक को पार नहीं करना पड़ता। इसलिए मेरे गिले शिकवों से सिक्किम को बाहर ही रखा जाय।
अब बात सेवन सिस्टर्स की, सौ से अधिक भाषा (बोली नहीं भाषा ही) यूरोपियन रहन सहन, छोटी छोटी पहाड़ियां,घने जंगल, महिला की समाज में स्थिति, लिंगानुपात, अनोखे रीतिरिवाज, एथलेटिक बनावट के शरीर, चाँद जैसे चेहरे, निर्द्वंद व्यक्तित्व, कलात्मक सोच, गज़ब की ईमानदारी, खेलों के प्रति क्रेज़, हैंडीक्राफ्ट, सब कुछ बृहद और आकर्षक... पर इतना सब होने के बावजूद भी सरकारों की उपेक्षा और अलगाववादियों के आक्रामक रवैये के कारण व्यवस्था के नाम पर सब टाँय टाँय फिस्स।
SBI Aizwal का चेक दिल्ली के एक एल आई सी ऑफिस में जमा करते समय जब क्लर्क ने मुझे मैनेजर के पास भेजा और मैनेजर ने जवाब दिया कि विदेश का चेक यहाँ नहीं चलेगा से आप पूर्वोत्तर के बारे में मैदानी लोगों की जानकारी का अंदाजा लगा सकते हैं।
हाल की सरकारों ने इस ओर ध्यान देना शुरू तो किया है जिसके फलस्वरूप थोड़ी चमक दमक दिखाई दे रही है। फिर भी केंद्रीय योजनाओं की झांकी आप डाक विभाग की इस लापरवाही से लगा सकते हैं।
डाक की सेवाएं अन्य प्रांतों में काफी बेहतर हैं। इसमें कोई शक नहीं है लेकिन पूर्वोत्तर में मेरी दर्जनों किताबें इनकी मेहरबानी का शिकार हो गई हैं।
इसलिए महोदय से विनम्र निवेदन है कि अगर आप सामान नहीं पहुँचा सकते हैं तो स्वीकार करना भी बंद कर दीजिए। महान कृपा होगी।
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