ग़ज़ल
ठुकराकर जब तुम जाओगे और भला क्या कर लेंगे
देखेंगे सूनी राहों को आंख में आंसू भर लेंगे।
कच्चे लोगों से याराना पानी पानी होगा ही
गिरते बारिश के ओलों को कितने दिन तक धर लेंगे
जी लेंगे खुश देखेंगे जब तुमको अपनी दुनिया में
याद तुम्हारी जब आएगी थोड़ा थोड़ा मर लेंगे
रुपये पैसे सोने चांदी उद्यम हैं बाजारों के
तुझसे मोहब्बत करने वाले गर लेंगे तो सर लेंगे।
चाँद सितारों पर रुकने वालों रास्ते में रुक जाना
हम तो अपना ठौर ठिकाना थोड़ा सा ऊपर लेंगे।
अपने दिल से मेरी कुर्सी मत सरकाओ कोने में
ग़फ़लत हो तो राजी होना हम तो पूरा घर लेंगे।
देने वाले खूब दुआएं देंगे उसको उड़ने की
उससे पहले चिड़िया का पर करके वार कतर लेंगे।
#चित्रगुप्त
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