जॉब कार्ड

"हेलो जमूरे जल्दी आ आज नया खेल दिखाने जाना है।"

"सॉरी उस्ताद आज नहीं आ सकता, बहू को लेकर बैंक जाना है। प्रधान जी को वायदा किया है।"

"किसलिए?"

"मनरेगा वाला पैसा आया है।"

"किसका?"

"बहू का..."

"पर वो तो प्राइवेट टीचर थी। अब मजदूरी कब से करवाने लगे उसे?"

"है तो वो अब भी टीचर ही उस्ताद! बस जॉब कार्ड बनवा लिया था तो प्रधान जी उसकी भी दिहाड़ी चढ़ा दिया करते हैं। जब पैसा आता है तो निकालकर दोनों आधा आधा कर लेते हैं।"

"पर ये तो गलत है न भाई?"

"अब क्या सही क्या गलत उस्ताद! जब हजारों का फायदा हो रहा है तो इस पाप को काटने के लिए कुछ इक्कीस इक्यावन का प्रसाद चढ़ा देंगे और क्या?"
#चित्रगुप्त 

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