पुनर्परीक्षा

पुनर्परीक्षा
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''पांचवी के मैथ की पुनर्परीक्षा....दसवीं बारहवीं का सुना है.. स्नातक, परास्नातक का सुना है... अन्य कॉम्पिटेटिव एग्जाम का सुना है। किसी का पेपर लीक हो गया? किसी परीक्षा केंद्र में कोई अनियमितता मिली ? ये बातें तो समझ में आती है पर पांचवी के इम्तहान में ऐसी कौन सी धरती हिल गई, कौन सा आसमान टूट गया? जो पुनर्परीक्षा का फरफान सुना दिया गया..? छोटे-बच्चों के लिये ये परीक्षा का डबल डोज......? आखिर ये मैनेजमेंट को सूझा क्या है?"

"अब जो मैंने सुना था वो बता दिया... बाकी दोपहर में मीटिंग है मैडम जी विस्तार से समझा देंगी" साथी अध्यापक ने बेरुखी दिखाते हुए मेरी कही हुई बातें गटर में डाल दीं।

मीटिंग शुरू हो गई थी। मैडम ने बोलना शुरू किया..."देखिये अभय जी अभी आप स्कूल में नये आये हैं इसलिए प्रश्नपत्र बनाने में और उनको जांचने में कई त्रुटियां पाई गई हैं। ये मीटिंग बुलाने का मेरा एक मात्र उद्देश्य यही था। आप काफी पढ़े लिखे और योग्य हैं पर अनुभव की कमी के कारण आपसे जो गलतियां हुई हैं मैं उम्मीद करती हूँ वो दुबारा नहीं होंगी और आने वाले दिनों में आप एक बेहतर अध्यापक भी साबित होंगे। पेपर कैसे बनाना इस बाबत कुछ सलाह मशविरा करना हो तो यादव सर से मिल  लेना वो आपको बारीकी से समझा देंगे... या कुछ मेरी मदद चाहिए तो आप निसंकोच मेरे पास आ  सकते हैं।"

मैंने कुछ बोलने के लिए अपनी गर्दन उठाई ही थी कि यादव सर ने पीछे से सर्ट पकड़कर खींच लिया, उनका इशारा समझ कर मैं चुप ही रह गया.... 

"बड़े शर्म की बात है यादव सर... गणित से परास्नातक होने के बाद भी क्या मुझे पांचवी का भी पेपर बनाना नहीं आता...? पेपर जांचना नहीं आता..? क्या मतलब है सर? मैडम का बेइज्जत करने का ये कौन सा तरीका है?" मीटिंग समाप्त होने के साथ ही मैं यादव सर पीछे हो लिया था। 

यादव सर चलते चलते स्कूल के बीचों बीच पेड़ के नीचे बने चबूतरे तक गये और वहीं बैठ गये। मैं वहाँ उनके सामने खड़ा हो गया। काफी देर सोचने के बाद उन्होंने अपनी मुंडी उठाई और बोले...

"गौरव को जानते हो?"
मैंने कहा - "हां"
"कौन है वो?"
"स्कूल के मैनेजर और प्रधानाचार्य का बेटा..."
"किस क्लास में है वो?''
"जी ...पांचवी में"
"तो जब तक उसके सबसे ज्यादा नंबर नहीं आ जाते ये पुनर्परीक्षा होती रहेगी...." इतना कहकर वो उठे और टीचर्स रूम की तरफ चल पड़े...

"लेकिन सर ये तो उन बच्चों के साथ ज्यादती होगी जो कई मामलों में गौरव से श्रेष्ठ हैं।" मैं भी बात करते हुए यादव सर के पीछे चल पड़ा....

मेरी बातें सुनकर एक बार वो ठिठके और मेरी तरफ मुड़ते हुए बोले... "अभय जी आप ये बातें अपने नएपन के जोश में कह रहे हैं। लेकिन मैं जो बोल रहा हूँ वो अपने बीस सालों के अनुभव से बोल रहा हूँ।"
#चित्रगुप्त





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