ग़ज़ल

कूजागर तेरा क्या रब से नाता है।
तू कैसी कैसी तश्वीर बनाता है।

ठीक ठिकाना क्या दो पल के जीवन का
सदियों वाले तू क्यों प्लान बनाता है।

रचने वाले ने रच डाला है ऐसा
आईने में तू क्या रोज़ बनाता है।

क्यों करता है सबसे मेरी बदनामी
उसके घर तो तू भी आता जाता है।

नैनोनक्श उभर आते हैं तेरे ही
जब कोई मेरी तश्वीर बनाता है।

#चित्रगुप्त

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