कंजूस

//कंजूस//

"पापा आइसक्रीम लेनी है" रूबी ने कहा तो पापा ने जेब में हाथ डालकर बाहर निकाला और न में सिर हिला दिया।

"खानदानी कंजूस हैं ये तो इनके जेब से धेला भी नहीं निकलने वाला ... तुम चुप ही रहो बेटा।" मम्मी ने आंखे तरेर कर ये बातें कहीं तो दोपहर की धूप में गर्मी और बढ़ गई।

वे बस स्टैंड पर पहुँचे तो सामने बस खड़ी थी। "इसी में बैठ लें पापा?" रूबी ने कहा तो पापा ने जेब में हाथ डालकर निकाला और फिर से  न में सिर हिला दिया।

"इनको तो कुछ बोलना ही बेकार है बिटिया वो बुढ़िया मर गई पर सूमों-दलिद्दरों वाले पूरे लक्षण इन्हें सिखा गई है। ये 'कुड़कुड़े' (एक प्रकार की जुगाड़ गाड़ी जिसे पम्पिंग सेट वाला इंजन लगाकर बनाया जाता है) पर ही बैठकर जाएंगे। इन्हें दो रुपये बचने से मतलब है बीवी बच्चे गर्मी में सड़ते हैं तो सड़ते रहें।" मम्मी बोलती रहीं पर पापा गमछे से अपने कुर्ते की धूल झाड़ते हुए चलते रहे।

कुड़कुड़े में बैठकर वे अपने नजदीक वाले बाजार तक तो पहुँच गये थे। वहां से उनका गांव चार किलोमीटर और था। रूबी के पापा उस ओर जाने वाले दो तीन टेम्पो वालो से बात करने के बाद एक पर उन्हें बिठाने को राजी हुए।

"खुद नहीं बैठोगे क्या?" रूबी की मम्मी के पूंछने पर उन्होंने जेब में हाथ डाला पर इस बार खाली नहीं निकाला उसमें पांच पांच के दो सिक्के भी थे। जिन्हें रूबी की माँ के हाथों में रखते हुए वो बोले..  "लो भाड़ा दे देना मेरा कुछ काम है मैं करके आता हूँ।"  इतना कहकर वो पीछे मुड़े और गमछे से कुर्ते की धूल झड़ते हुए दूर जाते हुए दिखते रहे।

माँ बेटी के घर पहुचने के लगभग घंटे भर बाद वो आते हुए दिखाई दिए। एक हाथ में दोनों जूते  और दूसरे से गमछा हिलाते हुए।

"देख बिटिया देख इनकी कंजूसी की हद... जूते घिस न जाएं इसलिए हाथों में पकड़ रखा है।" रूबी की मम्मी उन्हें देखते ही, फिर से उनकी इज्जत उतारने में जुट गईं तब तक उसके पापा दरवाजे तक आ गए थे।

"जूते हाथ में क्यों पकड़ रखे हैं पापा?"  रूबी के पूंछने पर वो थोड़ा झेंप से गये पर बोले "तला निकल गया था बेटा इसलिए हाथ में पकड़ लिया। बाद में बाज़ार जाऊंगा तो सिलवा लूंगा तब फिर पहनने लायक हो जाएगा।"

इतना कहकर उन्होंने अपना कुर्ता निकाला और बरामदे की खूंटी पर टांग दिया धोती निकालकर अलगनी पर फेंका और सींक वाला पंखा झलते हुए गांव की तरफ चले गये। रूबी ने मौका देखते ही उनके कुर्ते की सारी जेबें खंगाल डालीं पर उसे किसी भी जेब में एक पाई न मिली।

रूबी अंदर गई तो उसकी माँ फिर से उसके पापा और उनके खानदान के कंजूसी के किस्से सुनाने में जुट गईं। रूबी रुआंसी सी उनके पास जाकर बैठ गई और उनका मुंह पकड़ लिया। " पापा कंजूस नहीं हैं मम्मी.... उनके पास पैसे ही नहीं है।"

"रूबी की मम्मी उसे झिड़ककर आसमान की ओर देखने लगीं। काले बादल वहाँ भी घिर आये थे।"
#चित्रगुप्त

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