ग़ज़ल

ये इक रोज सफल होगा।
आज नहीं तो कल होगा।

मौसम होगा पतझड़ का
रिश्तों का जंगल होगा

इश्क मिलेगा गोली मे
हुस्नो का बोतल होगा।

बच्चे सिगरेट फूंकेंगे
बीड़ी खैनी फल होगा।

फिल्मी गानों के मंतर
दारू गंगा जल होगा।

गांजे पूजे जाएंगे
शापित तुलसीदल होगा।

ना ही प्रश्न खड़े होंगें
ना ही कोई हल होगा।
#चित्रगुप्त





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