सोशल मीडिया के अनसोशल लोग

सोशल मीडिया के अनसोशल लोग
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(१)

फेसबुक पर एक बड़े अधिकारी हैं और बढ़िया लेखक भी हैं। हालांकि बड़ा अधिकारी बढ़िया लेखक न होकर भी बड़ा लेखक ही माना जाता है। क्योंकि उसकी मेज पर जिसके काम की फाइलें पड़ी धूल फांक रही होती हैं वो तो उसकी पोस्ट से लेकर उसके द्वारा किए गए कमेंट और उसकी रिप्लाई तक में लाइक मार आता है। वहीं उससे जिसका काम नहीं भी होता है वह भी इस उम्मीद में उसकी जय-जय करते नहीं थकता कि क्या पता कब कहां जरूरत पड़ जाए। 

वो अधिकारी संयोग से मेरे फेसबुक मित्र भी हैं। उनकी प्रत्येक पोस्ट पर हजार के आसपास लाइक कमेंट आते हैं। उनके लिखे का प्रचार प्रसार ठीक-ठाक है। कुछ साल पहले मैने उनकी किताब पर समीक्षा लिखी जो एक बड़ी पत्रिका में छपी भी। समीक्षा उनके किताब की थी शायद इसीलिए छपी भी वरना मुझे नहीं लगता कि उस पत्रिका के संपादक ऐसे मेरी लिखी समीक्षा छापते। 

उन्होंने मुझे समीक्षा छपने की सूचना भी दी और उसके फोटो के साथ मुझे टैग करके फेसबुक पर पोस्ट डाला जिसका नोटिफिकेशन भी मुझे मिला लेकिन जब मैंने वो नोटिफिकेशन खोला तब तक उन्होंने मुझे टैग से रिमूव कर दिया था। 

कारण साफ था कि वो मेरी समीक्षा का लाभ तो लेना चाहते थे लेकिन अपनी रीच का लाभ मुझे नहीं देना चाहते थे। सबकुछ जानकर भी मैं अनजान बना रहा या यूं कहूं कि अनजान बने रहना पड़ा। क्योंकि व्यवहारिकता भी कोई चीज होती है जिसके बिना आज का काम चलना बहुत मुश्किल है।

(२)

संयोग से एक सेलिब्रिटी टाइप लेखिका मिलीं जिनके मित्रता निवेदन स्वीकार करते ही मुझे लगा मैं धन्य हुआ। उनकी कई किताबें प्रकाशित होने के साथ सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं। जॉली प्रवृत्ति की होने के साथ उनके पास शब्दों का अच्छा खासा भंडार भी है। 

उनका सुंदर होना उनके अन्य गुणों पर चार चांद की जगह दस बारह चांद लगा रहा था। लाइक और कमेंट की बरसात में उनका सुंदर दिखना महत्वपूर्ण था या उनका सुंदर लिखना इस बात पर मुझे हमेशा संशय बना रहा। कुछ रोज  उनके वॉल की परिक्रमा करने के बाद मुझे इस परम ज्ञान की प्राप्ति हो गई कि मेरा जन्म इनकी पोस्ट पर लाइक और कमेंट करने के लिए ही हुआ है।

मेरे किए हर कमेंट पर उनका दिल वाला रिएक्शन और उसके उत्तर में मेरे नाम के साथ शुक्रिया लिखकर आता जिसे देखकर मैं लहालोट हो जाता। लेकिन हुआ ये कि एक दिन उन्होंने मेरे लिखे किसी कमेंट पर ऐसी प्रतिक्रिया दी जिसकी उम्मीद मुझे नहीं थी। मैने एक दो दिन तक उसके बारे में सोचा फिर दिल पर पत्थर रखकर उन्हें अमित्र कर दिया। 

महीनों बाद उनका मैसेज आया और तमाम बातों के साथ उन्हें इस बात का खेद भी था कि उन्हें वैसा कमेंट नहीं करना चाहिए था। जल्दी स्वीकार करो की हिदायत के साथ उन्होंने फिर से मित्रता निवेदन भेज दिया।

विभिन्न संभावनाओं पर विचार करते हुए मैने उनके निवेदन को स्वीकार कर लिया। कुछ देर बाद फिर फेसबुक खोला और स्क्रीन सरकाते हुए उनकी पोस्ट ढूढने लगा। काफी देर तक उनका कोई पोस्ट नहीं दिखी तो उनका नाम लिखकर सर्च किया लेकिन वहां भी कुछ न आया।

वह मुझे अमित्र और ब्लॉक करके चली गई थीं। शायद उन्हें यह बात हजम नहीं हुई थी कि सामने वाला उनको अमित्र करे इसलिए उन्होंने इतना कुछ किया।

(३) 

एक मित्र ने प्रेमवश मेरे किसी पोस्ट पर देश का सबसे बड़ा व्यंग्यकार लिख दिया था। हालांकि उसे ऐसा नहीं लिखना चाहिए था लेकिन वह सरल आदमी है इसलिए उसे कोई बात हिट कर गई और उसने ऐसा लिख दिया। 

एक फेसबुक साम्राज्य के 'भाई' को ये बात लग गई। वो बड़े लेखक हैं कई साहित्यिक संस्थाएं चलाते हैं जिससे वो कई लेखकों को दाएं बाजू बाएं बाजू में दबाए घूमते हैं।  इससे पहले वो मेरे उस मित्र को नहीं जानते थे फिर भी उसे मैसेज किया। उसे व्यंग्य के बारे में दिन भर समझाया मेरे व्यंग्य की त्रुटियों को गिनाया मेरी उम्र का हवाला दिया मेरी किताबों पर चर्चा की फिर उस टिप्पणी को एडिट करने या डिलीट करने के लिया कहा। 

मामला गंभीर था और संयोग से मैं घर पर ही था इसलिए वह दोस्त भागा-भागा मेरे पास आया और उनके लंबे चौड़े मैसेज दिखाए। मैने उसका मोबाइल लेकर खुद ही वह टिप्पणी एडिट कर दी। “पेट दर्द के लिए सिरके का रस रामबाण है।”

(४) 

एक मित्र बता रहे थे सबको लाइक कॉमेंट मत किया करो लोग हमारा ही लाइक लेकर सेलिब्रिटी बन जाते हैं फिर हमें ही नहीं पूछते।

मुझे हमारे माननीय याद आए जो हमारा वोट लेने के बाद हमें ही नहीं पूछते। विशिष्टता बोध बाकी दुनिया को अपशिष्ट करार दे देता है इस बात का पता तो मुझे पहले भी था लेकिन मेरा मित्र भी इस परम ज्ञान को उपलब्ध हो चुका है यह जानकर मुझे आश्चर्य हुआ। 

(५)

मेरे एक मित्र ने अपने घर पर फेसबुक मित्रों का मिलन समारोह करवाया। उस समारोह में लगभग अस्सी लोग आए थे। मेजबान मित्र अच्छे लेखक हैं और आयु में बड़े भी हैं इसलिए सबकी नजर में उनका अलग तरह का ही सम्मान रहता है।

उसी मिलन समारोह में एक अन्य मित्र ने अपनी पुस्तक विमोचन का कार्यक्रम भी रखा था। जिसमें सभी आगंतुकों को बोलने का मौका मिला। सबने किताब की तारीफ तो की ही साथ ही मेजबान की भी उनकी मेजबानी से लेकर उनके अन्य गुण धर्मों  पर भी खूब चर्चा हुई।

कार्यक्रम के अंत में गृहस्वामिनी को धन्यवाद ज्ञापन के लिए माइक सौंपा गया। थोड़ी देर बोलने के बाद उन्होंने अतिथियों से पूछा- 

“सबने विमोचन वाली किताब के लेखक की सराहना की उन्हें तो मैं भी जानती हूं उनको पढ़ा भी है उनकी प्रसंशा तो समझ गई लेकिन ये जो मेजबान मेजबान कहकर दूसरे व्यक्ति की प्रसंशा की गई वो भला कौन है?”

“आपके पति परमेश्वर” अतिथियों में से ही कोई बीच से बोला।

“जितने गुण आप लोगो ने इनके गिनाए हैं उनमें से इनके अंदर तो एक भी नहीं हैं।”

बात को मजाक में लिया गया लेकिन जो सपत्नीक आए थे वे सब अपनी अपनी पत्नी की ओर देखने लगे। 

(६)

एक आदरणीया ने एक बार बताया था कि लड़कियों/महिलाओं  को इनबॉक्स में आए छोटे-मोटे हाय हेलो पर स्क्रीन शॉट नहीं लगाना चाहिए। क्योंकि लड़कियां खुद तो किसी को हाय-हेलो करने जाएंगी नहीं यह काम लड़कों/पुरुषों का ही है कि वे आएं और हाजिरी लगाएं। हो सकता है उनका ऐसा करना सौ को पसंद न भी हो लेकिन क्या पता कोई १०१वीं इसी तरह के मैसेज के इंतजार में बैठी हो और पहली दूसरी या तीसरी के स्क्रीन शॉट टांग देने से लड़का अगली बार किसी को मैसेज न करने की कसम खा ले। फिर उस १०१वीं के अकेलेपन के लिए कौन जिम्मदार होगा भला। 

(७)

एक दिन फेसबुक पर बिल्कुल नया ज्ञान मिला। सभ्य आदमी खुले में शौच करने नहीं जाता वह इस काम के लिए कुत्ता पाल लेता है। 

किसी और ने पहले सुना हो तो ये उसके लिए सौभाग्य की बात है पर मैंने इसे पहली बार पढ़ा अच्छा लगा।

(८)

एक और ज्ञानी मित्र हैं। उनका मंचों पर बड़ा कारोबार है। फेसबुक पर उनके मित्रों में कई छोटे-मोटे कवि-शायर हैं। वो पोस्ट सबकी पढ़ते हैं हालांकि लाइक कमेंट आदि करने की जहमत नहीं उठाते। वो एक शाम पीकर फोन किए फिर बताने लगे नए कवियों से मित्रता गांठने में फायदा ही फायदा है। मौलिक चीजें बिना मेहनत किए मिल जाती हैं। उन्हें उठाता हूं और थोड़ा इधर उधर करके सुना आता हूं बेचारों को पता भी चल जाता है तो बोलने की जहमत नहीं उठा पाते।

अगले दिन मैंने उनका वीडियो खोज-खोज कर सुना। मेरे जिस मित्र की भी कविता उनके जिस वीडियो में मिली वो वीडियो उस-उस मित्र को फॉरवर्ड करता गया। धीरे-धीरे लोगों ने इस बात को संज्ञान में लेना शुरू किया और उनके विडियोज वायरल होने लगे। अभी कुछ दिन पहले सुना कि कि यूट्यूब ने उन्हें गोल्डन बटन भी दे दिया है। 

आधे का वर्ग करो तो वह एक चौथाई हो जाता है वहीं दो का वर्ग करो तो उसका चार होना तय है। जीवन का गणित सिर्फ इतना ही है - “जो चीज बड़े को बड़ा करती है ठीक वही चीज छोटे को और छोटा कर देती है।” जैसे तेज हवा दीया तो बुझा देती है लेकिन वही हवा जंगल की आग को भड़का भी देती है। बदनाम होकर नाम कमाने वाला ट्रेंड भी इसी तरह है। किसी हिरोइन के मल्टी अफेयर की कहानी उसकी मूवी सुपर डुपर हिट बना देती है वहीं किसी काम वाली बाई के बारे में ऐसी बात उड़े तो लोग उसे काम से निकाल देते हैं।

सोशल मीडिया पर भी यही हाल है। कम लाइक पाने वाले लोग कोई चोरी की पोस्ट डाल दें तो उनका जीना हराम हो जाता है लेकिन वही काम ज्यादा फैन फॉलोइंग वाले करें तो उनकी रीच और बढ़ जाती है। 

एक बार दिल्ली यूनिवर्सिटी की एक छात्रा ने मेरी एक लघुकथा उठाई और अपनी वाल पर चेप दिया। किसी ने मुझे लिंक भेजा तो मैं घूमते घामते वहां पहुंचा। देखा तो मेरे नाम को छोड़कर बाकी सेम टू सेम था। बिटिया को बोला तो वह चिढ़ गई बोली अंकल जी थोड़ी तो शर्म कर लेते फिर बोलते। अपनी वाल पर देखो चालीस लाइक हैं और इधर देखो हजार लाइक पहुंचने वाला है। जनता जानती है कि लघुकथा किसकी है इसीलिए तो धड़ाधड़ लाइक कमेंट दिए जा रही है। मैं कहना चाह रहा था कि पोस्ट का दिन तारीख भी लिखा रहता है कम से कम वो तो देख लेती, लेकिन जुगाड़ से दिन तारीख भी इधर का उधर हो जाता है। किसी पुरानी पोस्ट के एडिट ऑप्शन में जाकर उसी के ऊपर नया पेस्ट कर सकते हैं यह बात किसको नहीं पता होगी भला? 

सुना है जब देश आजाद होने के बाद जब प्रधानमंत्री पद के लिए कांग्रेस वर्किंग कमेटी में वोटिंग हुई तो सरदार पटेल उसमे बहुमत के आधार पर विजयी हुए इस समय पंडित नेहरू यह कहते हुए मीटिंग छोड़कर चले गए थे कि बहुमत हमेशा मूर्खों का होता है। सोशल मीडिया के बारे में यह बात मुझे सही भी लगती है क्योंकि यहां मेरा प्रसार बड़ा काम है। यह बात उन्हें खराब भी लग सकती है जिनकी पोस्ट पर असंख्य लाइक कमेंट आते हैं। मैं लाइक कमेंट के लिए नहीं लिखता यह बात लिखते हुए अनगिनत लोग देखे जा सकते हैं मगर ध्यान रहे यह वही लोग हैं जो लाइक कमेंट की कंगाली से गुजर रहे हैं।

#चित्रगुप्त

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