पड़ोस धर्म

पड़ोस धर्म
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एक व्यक्ति ने भगवान की खूब पूजा की, भगवान ने प्रसन्न होकर उसे दर्शन दिया और उससे कोई वरदान मांगने को कहा। 

व्यक्ति ने एक ऐसा शंख मांगा जिसको बजाने से वो जो चाहे वह हो जाए।  भगवान ने तथास्तु कहा लेकिन एक शर्त भी लगा दी, कि वह जो भी मांगेगा वह तो हो जाएगा लेकिन उसका दुगना उसके पड़ोसी का भी हो जाएगा। 

व्यक्ति ने उस समय तो खुशी -खुशी वह शर्त मान ली। वह घर आया और शंख बजाकर अपनी कामना पूरी करने लगा। उसने मांगा मेरा नया घर बन जाए। पड़ोसी का दो घर बन गया। उसने एक जोड़ी बैल मांगा, पड़ोसी के दो जोड़ी बैल हो गए। व्यक्ति ने एक भैंस मांगी पड़ोसी के दो भैंस हो गई। व्यक्ति की शादी भी नहीं हुई थी उसने अपने लिए एक बीवी मांगी पड़ोसी को दो बीवी मिल गई। 

अब उसके सहनशक्ति की इंतहा हो गई थी। उसके बाद कुछ रोज तक उसने  शंख नहीं बजाया। लेकिन पड़ोसी के प्रति उसकी ईर्ष्या रोज रोज बढ़ती जा रही थी। एक दिन उसके दिमाग में एक खयाल आया...।

उसने मांगा मेरे घर के आगे एक कुआँ हो जाए पड़ोसी के घर के आगे दो कुआँ हो गया। फिर उसने मांगा मेरी एक आंख फूट जाए, पड़ोसी की दोनों फूट गई। एक दिन पड़ोसी कुएं में गिरा और मर गया। उसके बाद व्यक्ति के मन को शांति मिली।

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