आदमी न रहा
भेड़, भेड़िया, बकरी, सियार
कभी स्कूल नहीं गए
फिर भी वो
भेड़, भेड़िया, बकरी, सियार ही रहे
कोयल, बुलबुल, गौरैया, बत्तख
नहीं गईं कभी किसी धर्मस्थल
फिर भी वे
कोयल, बुलबुल, गौरैया, बत्तख ही रहीं
कुत्तों बिल्लों ऊंटों शेरों ने
नहीं सुने कभी कोई धार्मिक ब्याख्यान
फिर भी वे कुत्ते बिल्ले ऊँट और शेर ही रहे।
जंगल, पहाड़, झरने, नदियां
टूटकर जलकर सूखकर मरकर
जंगल, पहाड़, झरने, नदियां ही रहीं
बस एक आदमी ही था
जिसने उपर्युक्त सब किया
फिर भी वह आदमी न हुआ...
#चित्रगुप्त
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