लगेगी आग तो
लगेगी आग तो ************ "चाचा! राम समुझ के घर में आग लगी है पूरा गाँव आग बुझाने जा रहा है, आप नहीं चल रहे क्या?" राम बरन ने खैनी मलते हुए बिगहा भर मुस्कान बिखेरी। ईर्ष्या रखने वालों की ये खासियत होती है कि वो आपसे झूठी संवेदना दिखाकर आपके दुःख को बार बार कुरेदेंगे और फिर मजा लेंगे। जैसे मेरे एक रिश्तेदार का घर बन रहा था। छत डालने के लिए सारी बांस बल्लियाँ चढ़ा दी गई थीं कि अचानक ठोंका पीटी के चक्कर में बीच की एक दीवार गिर गई। ये नजारा उनके पड़ोसी ने जो कि अपने छत पर ही खड़े थे बिल्कुल सामने से देखा था। लेकिन उसके बाद फौरन ही वो छत से नीचे उतरकर इनके घर आ गये और मेरे रिश्तेदार को ढूढ़कर पूछने लगे। "आंय हो भैया अभी बड़ी तेज़ से घमाक की आवाज़ हुई रहा कुछ गिर गया क्या?" वे मज़ा लेने के लिए ही आये हैं ये बात मेरे रिश्तेदार को भी पता थी इसलिए वे भी उन्हें कोसने का मौका नहीं छोड़ना चाहते थे। लेकिन गुस्से के रचनात्मक इज़हार का तरीका खोजकर वे बोले- "हाँ भैया दीवार गिर गई रहा जो है सो की, लेकिन कुछ सारे (साले) इसमें भी मज़ा ले रहे हैं। आज तो उनके घर में सत्यनारायण की कथा होनी ...
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