सत्संग
सत्संग
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"अरे! इतनी रात को कहाँ से आ रहे हो?" लॉन में घूमते हुए वकील साहब ने सामने से गुजर रहे रामबरन से पूछा।
"एक महात्मा जी आये हैं उन्हीं का सत्संग चल रहा है बाहुबली पार्क में वहीं से आ रहा हूँ।"
सत्संग का नाम सुनते ही वकील साहब की भौंहे तन गईं।
"तुम तो पढ़े लिखे आदमी हो यार कहाँ इन झंडुओं के चक्कर में पड़ते हो? देखा नहीं क्या कि कितने बड़े-बड़े बाबा सलाखों के पीछे हैं। कोई हत्या के आरोप में, कोई बलात्कार के आरोप में, कोई गबन के आरोप में..."
वकील साहब बोल ही रहे थे कि सामने से चीखने की आवाजें आने लगीं। इससे पहले कि दोनों कुछ समझ पाते सामने वाले घर का दरवाजा झटके से खुला और एक जोड़ा लड़ते हुए सड़क पर आ गिरा। महिला छुड़ाने की कोशिशें कर रही थी और पुरुष उसका बाल पकड़े अपने पैरों से उसको मार रहा था। सामने दरवाजा पकड़े खड़े दो बच्चे भी जोर जोर से चीख रहे थे।
रामबरन और वकील साहब दोनों ने मिलकर किसी तरह उनको छुड़ाया और मामला शांत कराकर अंदर भेजा। वकील साहब पुलिस भी बुलाना चाहते थे लेकिन महिला के मना करने पर वे मान गए।
वकील साहब से विदा लेते हुए रामबरन ने बस इतना ही कहा- "वकील साहब इन्हीं सब फ़ितूरों से बचे रहने के लिए सत्संग में चला जाता हूँ। वरना खाली दिमाग शैतान का घर होता है। इसको अगर अच्छी बातों से नहीं भरूंगा तो बुरी बातें अपने आप घर बना लेंगी।"
वकील साहब उसके जवाब में बहुत कुछ और कहना तो चाहते थे लेकिन रामबरन ने राम राम किया और मुड़कर अपनी गली की ओर चल दिया।
#चित्रगुप्त
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