जोर लगाके हाइसा
जोर लगाके हाइसा
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कश्मीर फाइल्स देखी मैंने
साथ ही पढ़ा भी है गुजरात दंगों पर लिखी कई किताबें भी
गोधराकांड में जलकर ख़ाक हुए लोगों के घरों का कोना-कोना भी छानकर आया हूँ
जैसे हर सिक्के का दूसरा पहलू होता है न?
या एक षड्यंत्र के पीछे दूसरा षड्यंत्र
ठीक वैसे ही है
दंगे के पीछे दंगा, दंगे के आगे दंगा
बोलो कितना दंगा?
सोमनाथ मंदिर, बाबरी मस्जिद,
बामियान की मूर्तियां, अलास्का चर्च
अमेरिका के जलते हुए जुड़वा टॉवर
ईराक के धुँआ उगलते तेल वाले कुएँ
अफगानिस्तान की धू-धू जलती पहाड़ियां
सीरिया में उबलते बमों के गोले
फिलिस्तीन में कुचली जाती अबोधों की किलकारियां लेबनान की खौफ़नाक गुफाएँ
जलते हुए श्रीलंकाई जंगल
बर्मा से भागते बूढ़े बच्चे और महिलाओं के हुजूम
कितना लिखें
क्या नहीं पता है किसको?
मेरा शोषण, शोषण
तुम्हारा वाला पर्यूषण
हाथ मे माचिस है तो चूल्हा जलाना है या किसी का घर
ये फैसला अगर मेरा है तो दोष माचिस का तो नहीं हो सकता न?
जिनको भी लगता हो कि वो ताकतवर हैं
वो ये भी मान लें कि वे निरंकुश भी हैं।
जैसे धरती है
आसमान है
सूरज है चंदा है
ठीक वैसे ही कमजोर का शोषण भी है।
ये स्थूल सत्य है।
दुनिया के हर ख़ुदा, हर ईश्वर, हर परमेश्वर, हर फरिश्ते , हर अवतार की कहानियां सिर्फ यतीमों के लिए गढ़ी गई हैं।
जिससे वे इनसे जुड़कर खुद के सर्वशक्तिमान से जुड़ जाने का वहम पाल सकें।
बर्बर कोई जातियाँ नहीं धर्म नहीं मज़हब नहीं देश नहीं
बल्कि परिस्थियां हैं जिससे चिपके हैं हम
और छोड़ भी नहीं रहे हैं
साथ ही होड़ भी लगा रहे हैं
कि कौन ज्यादा जोर से चिपका है।
चालाक लोग भावनाओं को निचोड़कर दुह रहे पइसा
हम और आप लगे हैं कि लगे हैं
जोर लगाके हाइसा
#चित्रगुप्त
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