मतदान

जनता अपना वोट
सिर्फ मंदिर और मस्जिद के मुद्दे पर ही नहीं देती
वो वोट देती है उन्हें भी जो उनके बच्चों के दाखिले के वक्त चले जाते हैं उनके साथ स्कूल या कालेज तक

जनता वोट सिर्फ पाँच किलो राशन पर नहीं देती
वो वोट देती है उन्हें भी जो आते-जाते पूछ लेते हैं उनका हाल और कहते हैं कि कोई दिक्कत होगी तो बताना। 

जनता वोट मुफ़्त दवाई और मुफ़्त वैक्सीन पर ही नहीं देती वो वोट देती है उन्हें भी जो उनके किसी परिजन के बीमार होने पर कर लेते  हैं एक फोन कॉल और कहते हैं कौनो समस्या आये तो बताना कोई न कोई  रास्ता तो निकलेगा ही।

जनता वोट सिर्फ सुशासन और सुव्यवस्था  पर नहीं देती
वो वोट देती है उन्हें भी जो उसके ख़िलाफ़ होने वाली हर पुलिसिया कार्यवाही पर खड़े हो जाते हैं थानेदार के सामने एक जिम्मेदार अभिभावक की तरह।

जनता वोट बड़े-बड़े नामों को नहीं देती
बल्कि वो वोट देती है निरहू और घुरहू समझे जाने वाले छुटभैयों द्वारा बढ़ाये गये उन हाथों को भी जो उनके दरवाजे पर  मुंडन-छेदन विवाह या अन्य कार्यक्रमों में आकर उनका मान बढ़ाते हैं। 

जनता वोट बड़े-बड़े दावों वायदों मुफ़्त की चीजों या पाकिस्तान फ़तह कर देने की उम्मीदों पर नहीं देती बल्कि वो वोट देती है उन लोगों को भी जिन्हें देखकर लगता है कि ये जीतकर और कुछ करें न करें पर उनके परिवार का जीना हराम नहीं करेंगे।

जनता वोट हमेशा अपने ज्ञान से हौंकियाने वालों को नहीं देती बल्कि वो वोट देती है उनको भी जो उसकी मान्यताओं का सम्मान करते हैं साथ ही उनके ग़लत होने पर नया रास्ता भी सुझाते हैं।

#चित्रगुप्त 


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