विकास यात्रा

विकास यात्रा
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भाइयों और भेनों, विकास जो कि 2014 में ही अपने यहाँ आने के लिए निकला था। वह गाड़ी छूट जाने के कारण अभी तक नहीं पहुँचा है। मैं कहता हूँ कि अगर उसे गाड़ी मिल भी जाती तब भी उसने कौन सा समय पर पहुंचना था? देश के अलग -अलग प्रदेशों से निकलने वाली राजधानी गाड़ियां ही जब अपने नियत समय पर नहीं पहुंचतीं हैं तो भला विकास क्या खाक समय पर पहुंचता? हाँ हवाई जहाज से आ जाता तो अलग बात है। लेकिन उसमें भी तो रुट डायवर्ट होने की पूरी संभावना बनी रहती है। कभी-कभी टायर भी फिसल जाता है, तो कभी अपने आप ही टिकट कैंसिल भी हो जाता है। लेकिन फिर भी मुझे पूरा भरोसा है कि विकास ने हवाई जहाज का टिकट नहीं ही कटाया होगा। क्योंकि सरकारी नियमावली के हिसाब से उसे साधारण यात्री किराया ही लागू है। इसलिए क्लेम होने की संभावना नगण्य होने की वजह से आखिर विकास बाबू ने अपनी जेब पर फालतू का बोझ नहीं डाला होगा ऐसा मुझे पूरा भरोसा है।

यहाँ गाड़ियों की इस देरी का सारा दोष मैं उन अंग्रेजों को देना चाहूंगा। जो रेलवे को भारत लेकर आये। न वे गाड़ियों को भारत लाते न ये लेट होतीं। कितना अच्छा होता अगर गाड़ियां ही न होतीं? तब सरकारें जनता को चलने के लिए हाथी और घोड़े चलवातीं जिसके रास्ते में पकौड़े तलने वालों की दुकानें भी होतीं। जिससे देश में रोजगार के मौके बढ़ते। जगह जगह पर ठग होते जो पथिकों के गले में रस्सी डालकर उनका गला घोट देते और सरकारों का काम आसान हो जाता। न होते गरीब न होती उनकी चिंताएं।

अगली समस्या ये कि अगर विकास को गाड़ी मिल भी जाती और गाड़ी नियत समय पर भी होती, तो भी विकास ने सही समय पर नहीं पहुचना था क्योंकि इस हालत में गाड़ी के पलट जाने की भी पूरी की पूरी संभावना थी और अगर ऐसा होता तो फिर किसी पुलिस वाले की पिस्टल लेकर भागता और वह किसी पुलिसवाले की गोली का शिकार हो जाता। ये सब हमने कानपुर वाले विकास दुबे केस में देखा ही है। 

तो भाइयों और बहनों 'जिग्नेश हार्दिक ढाल की जय कन्हैया कुमार लाल की' जिस प्रकार से हमने गरीबी हटाओ वाले नारे पर इंदिरा गांधी का विश्वास किया था। समाजवादी आंदोलन के उत्पादों को परिवारवादी होते देखा था। कांग्रेस का हाथ गरीब के साथ वाले नारे को मन मौन होकर सुना था। ठीक उसी तरह जिस तरह 2014 से विकास के आने का इंतजार कर रहे हैं। 

तो फिर इंतज़ार कीजिये और राहत इंदौरी साहब का एक शे'र गुनगुनाइए...

न हम-सफर न किसी हम-नशीं से निकलेगा
हमारे पाँव का कांटा हमीं से निकलेगा

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