चे और बे

चे के जन्म दिन पर विशेष...

"चे"

हां "बे"

"तूने अपना नाम क्यूबा वाले चे (ग्वेरा) के नाम पर रखा है न?"

"हाँ तो?"

"पर वो तो लिखने पढ़ने और लोगों को क्रांति के लिए प्रेरित करने में इतने व्यस्त रहते थे कि हफ़्तों तक नहाते नहीं थे पर तुम्हें तो नहाने के लिये गीजर वाला पानी  दीपिका वाला डब और  ब्रांडेड परफ्यूम चाहिए..."

"(चे मुस्कुराते हुए)ये मॉडर्न जमाना है 'बे' अब के किरान्तिकारी ऐसे ही होते हैं"

"अच्छा जंगल देखा है? असली वाले चे तो जंगल में ही रहते थे।"

"जंगल ....? हां देखा है न, मोबाइल में टीवी पर कम्प्यूटर पर... पर हां हमारे बॉस तो जब ए सी कमरों में ब्रीफिंग लेते हैं तो कहते हैं किरान्ति की मार्केटिंग करनी है तो शहरों में आओ जंगल में कुछ नहीं रखा है। जंगल के लिये उन्होंने चरसी गंजेड़ी भंगेड़ी और बेवड़े अलग से पाल रखे हैं ...''

"शहरों को जंगल करने का और कोई ख़ास उद्देश्य...?"

"अ'बे' यार... इतनी मीडिया कवरेज, इतनी मॉस, इतना फंडिंग वहाँ जंगल के लतखोरों से होगा क्या...?"

तब तक विस्की की बोतल और तंदूरी टांगे ट्रे में में लिये एक  पराधुनिक अप्सरा का प्रवेश होता है उसके बाद चे और बे दोनों उसके भूगोल  में उलझते हुए निःशब्द हो जाते हैं।

#चित्रगुप्त

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