प्रोग्रेसिव लोग
'उस्ताद सुना है कोई कॉफी होती है जो अमेज़न के जंगलों में घूमने वाले हाथियों के लीद से बनती है?'
'होगी यार ...मोय तो नाय पतो?'
'... और कोई मंहगी क्रीम भी होती है जो घोंघे के लार से बनती है?'
'मोय नाय मालूम यार...?'
'... और उस्ताद सुना है कि कई सुंदर होने के लिए लगाई जाने वाली क्रीमों में भी कई गंदे समझे जाने वाले जानवरों की चर्बी पड़ती है?'
'मुझे ये सब कुछ नहीं पता यार जमूरे... लेकिन तुम आज ये सब पूछ ही क्यों रहे हो?'
'मैं पूछ बस इसलिए रहा हूँ उस्ताद कि सभी प्रोग्रेसिव विचारधारा वाले गो मूत्र पीने वालों को तो पिछड़ा बता रहे हैं। लेकिन हाथी का गू खाने वालों को कुछ नहीं बोल रहे?'
'तू फालतू की चिंता मत कर यार जमूरे! गो मूत्र पर भी जिस दिन किसी विदेशी कंपनी का ब्रांड चस्पा हो जाएगा ये भी पवित्र हो जाएगा।'
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